माना जाता है कि अस्पताल में किसी की असमय मौत के बाद परिवार के लोग उसी जगह से ज्योत लेने आते हैं। लोगों का मानना है कि जिसकी मौत हुई, उसकी आत्मा को घर तक नहीं पहुंचाने पर वह परिवार को परेशान करती है। ढोल के साथ ज्योत घर ले जाकर आत्मा की शांति की जाती है।
ज्योत को घर तक ले जाने के लिए परिजन खतरा मोल लेने से भी नहीं चूकते हैं। जलती हुई ज्योत को वाहन के अन्दर रखा जाता है। उसके चारों ओर परिजन बैठ जाते हैं। वाहन के दरवाजों को भी खुला रखा जाता है। एेसे में आग लगने व परिजनों के गिरने का खतरा भी रहता है।
अस्पताल के बाहर ही नहीं, कई बार परिजन आत्मा को ले जाने के नाम पर वार्ड के अंदर तक ढोल बजाते हुए पहुंचकर धुआं कर देते हैं। इससे मरीजों की परेशानी बढऩे के साथ ही दहशत फैल जाती है।