रक्षाबंधन के दूसरे रवानारक्षाबंधन के दूसरे दिन 12 अगस्त को खरड़ाया से लगभग 15-20 श्रद्धालु रामदेवरा के लिए पैदल रवाना हुए। जत्थे में शामिल कई श्रद्धालु आगे-पीछे चल रहे थे। पाली के रोहट थाना क्षेत्र के दलपतगढ़ के इन जातरूओं में से कुछ राम रसोड़ा में जलपान करने रूके। इस दौरान रविवार देर रात तेज रफ्तार में आए ट्रोले ने कुचल दिया। इससे खरड़ाया निवासी गिरधारीलाल भील (27), पवन भील (25) व पारस भील (20) तथा करणगढ़ (आसींद) के पप्पू भील (30) तथा लालपुरा (कारोही) के सुशीला कालबेलिया (25) की मौत हो गई। घटना से गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
खेमाणा सरपंच बद्रीलाल जाट, खेमाणा के ग्राम विकास अधिकारी मुरलीधर वैष्णव मौके पर पहुंचे। पांच शव का सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए। शाम को शव पहुंचा तो गांव में सन्नाटे को चीरते एम्बुलेंस की आवाज गूंजी। शव पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया। शव पहुंचने से अंबालाल खारोल, मुकेश दमामी, जगदीश जाट व मदन सुथार ने अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली। घर में औपचारिकता के बाद गिरधारी, पवन व पारस की एक साथ अर्थी उठी तो ग्रामीणों की आंखें नम हो गई। पप्पू व सुशीला का अंतिम संस्कार उनके गांव में हुआ।सभी करते थे
मजदूरी, आठ पहले पवन की शादी सभी मृतक मजदूरी करते थे। पवन की शादी आठ माह पहले ही हुई थी। पत्नी पानी देवी गर्भवती है। पप्पू भील पिछले काफी समय से मौसी के पास झोपड़ी बनाकर परिवार समेत रह रहा था। सुशीला के जख्मी होने पर उसे जोधपुर रैफर किया। परिजन जोधपुर की जगह भीलवाड़ा रवाना हो गए। रास्ते में सुशीला ने दम तोड़ दिया था। सुशीला का पोस्टमार्टम रायपुर में ही हुआ था। डीएमएफटी सदस्य रणदीप त्रिवेदी, प्रधान शिवराजसिंह बाड़ी, राजेंद्र त्रिवेदी व कई जनप्रतिनिधि खरड़ाया पहुंचे और अंतिम संस्कार में शामिल हुए। गांव में सौ घरों की बस्ती है। इनमें 70-80 घर भील जाति के है। कुछ कालबेलिया परिवार भी रहते हैं।