Bio Medical Waste भीलवाड़ा जिले में ५७ निजी अस्पताल एवं ८२ लैब व क्लिनिक हैं। इनसे प्रतिदिन ७२० किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। यह वेस्ट अजमेर की कम्पनी वाहनों के माध्यम से उठा रही है। इसका अजमेर में लगे प्लांट से निस्तारण किया जा रहा है। कम्पनी वर्तमान में अस्पतालों से २.९० रुपए प्रति बैड तथा सौ रुपए प्रति लैब व क्लिनिक से शुल्क ले रही है। अब यह राशि बढ़ाकर प्रति बैड ५.९० रुपए या ६९०० रुपए प्रतिमाह की जा रही है। लैब व क्लिनिक से १०० के स्थान पर ५०० रुपए प्रतिमाह लिए जाएंगे।
कई अस्पताल संचालक बायो वेस्ट को अपनी मर्जी से हर कहीं पर भी डाल देते हैं। मंगरोप रोड व कुवाड़ा रोड पर भी मेडिकल वेस्ट डाला जा रहा है। तिलकनगर क्षेत्र में भी वेस्ट को जलाया जा रहा है।
महात्मा गांधी अस्पताल से निकलने वाले अन्य तरह के कचरे को मोर्चरी के पास एकत्र किया जाता है। कई बार साधारण कचरे के साथ बायोमेडिकल वेस्ट फेंक दिया जाता है। इससे संक्रमण का खतरा रहता है। निकट ही मातृ एवं शिशु अस्पताल में एनआइसीयू है। जहां हर दिन 25 से 30 गंभीर नवजात रेडियम वार्मर मशीनों पर रखे जाते है। प्रसूता और शिशु वार्ड भी है। जहां 200 प्रसूताएं एवं 100 से अधिक शिशु भर्ती रहते हैं। उनके साथ परिवार के सदस्य होते हैं। मेल मेडिकल वार्ड, महिला वार्ड, आइसीयू, डायलिसिस वार्ड में भर्ती रोगियों में भी संक्रमण का खतरा रहता है। मेडिकल वेस्ट फेंकने एवं जलाने से इसका धुआं वार्डों में जाता है। यहां से कचरा प्रतिदिन नहीं उठाए जाने से ढेर लग जाता है। इनमें मवेशी भी मुंह मारते रहते हैं।
नया प्लांट व नई दरें अगले साल से
हर रविवार को वाहन भीलवाड़ा से बायो वेस्ट ले जाता है। पीली-नीली थैली वाला वेस्ट ले आते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल व एनजीटी के आदेश पर अब प्लांट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। अगले साल यह प्लांट शुरू होने के साथ नई दरें लागू कर दी जाएंगी।
अनिल जैन, प्रोजेक्ट मैनेजर, सेल्स प्रमोटर कंपनी
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आदेशों की पालना हर अस्पताल संचालकों को करनी होगी। इसके लिए बोर्ड ने गाइडलाइन भी जारी कर दी है।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय प्रबंधक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, भीलवाड़ा