रक्त की तरह प्लाज्मा दान के लिए चलाना होगा अभियान
आयुष ने पत्रिका की मुहिम पर दिया प्लाज्मा
Campaign will be run for plasma donation like blood in bhilwara
भीलवाड़ा।
कोरोना से गंभीर रूप से ग्रस्त मरीज का जीवन बचाने के लिए चिकित्सक प्लाज्मा चढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। यहां कोरोना को पराजित कर स्वस्थ हुए लोगों की लम्बी फेहरिस्त बन गई है, जो भविष्य में प्लाज्मा दाता बनकर किसी अन्य की जान बचाने या उसे जल्द स्वस्थ करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव आने के एक महीने बाद व्यक्ति अपना प्लाज्मा दे सकता है।
रक्तदान जैसी मिले प्रेरणा
महात्मा गांधी चिकित्सालय में ब्लड बैंक की स्थापना हुई, तब बहुत कम संख्या में लोग रक्तदान करने पहुंचते थे। धीरे-धीरे स्थितियां बदल गई और सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों से अब रक्तदान के लेकर बहुत जागरुकता का निर्माण हो चुका है। भीलवाड़ा से अन्य जिलों में रक्त पहुंचता है। यहां से दिल्ली तक भी रक्त भेजा जाता है। यही वजह है कि एक वॉट्सएप संदेश या मोबाइल कॉल पर अब रक्तदाता अस्पताल पहुंचकर जरूरतमंद के लिए रक्तदान कर देते हैं। ऐसा ही जज्बा अब प्लाज्मा दान को लेकर भी जगाने की जरूरत है।
कई रोगों में कारगर
प्लाज्मा थैरेपी को विज्ञान की भाषा में प्लास्मा फेरेसिस कहा जाता है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है। प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा खेल में चोट, मांसपेशियों में कमजोरी, रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने आदि में प्लाज्मा थैरेपी कारगर है। प्लाज्मा थैरेपी के लिए सेंट्रीफ्यूज मशीन की जरूरत रहती है जो भीलवाड़ा में उपलब्ध है।
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आयुष ने किया प्लाज्मा डोनेट
राजस्थान पत्रिका मुहिम के साथ जुड़े सहयोग सेवार्थ फाउंडेशन संस्थान की ओर से कोरोना से ठीक हो चुके लोगो को लगातार प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि गंभीर रोगियों को प्लाज्मा की आवश्यकता होने पर तत्काल उपलब्ध कराया जा सके। फाउंडेशन के सचिव गोपाल विजयवर्गीय ने बताया कि शुक्रवार को 23 वर्षीय आयुष अग्रवाल ने महात्मा गांधी ब्लड बैंक में ए पॉजिटिव प्लाज्मा दान किया। आयुष ने कहा कि प्लाज्मा दान से अगर किसी को नया जीवन मिलता है तो यह मेरे लिए गर्व की बात है। कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से ही प्लाज्मा दान करने की इच्छा थी। मन में थोड़ा डर था, लेकिन पत्रिका की मुहिम ने मोटीवेट करते हुए मन से भय को दूर किया एवं प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित किया। प्लाज्मा दान का अनुभव साझा करते हुए कहा कि बेहद ही सुखद अनुभव रहा तथा किसी प्रकार की कोई कमजोरी नही आती है। कोविड के विरुद्ध जनान्दोलन में कोरोना से ठीक हो चुके सभी लोगो को भागीदारी निभाते हुए स्वयं आगे आकर प्लाज्मा दान करना चाहिए ताकि जरूरतमन्द को समय पर प्लाज्मा थेरेपी मिल सके। प्लाज्मा प्रभारी हेमन्त गर्ग ने आयुष का हौंसला बढ़ाया तथा डॉ. अंकुर गुप्ता, डॉ. विपिन कुमावत, नेमिचंद जैन ने प्लाज्मा दान की प्रक्रिया संपन्न कराई।
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