व्यक्तित्व से पहचान कराने का पर्व है चातुर्मास
प्रवर्तक सुकनमुनि ने शास्त्रीनगर के अहिंसा भवन में चौमासी पर कहा
Chaturmas is a festival to identify with personality in bhilwara
भीलवाड़ा।
चातुर्मास व्यक्ति की उसके व्यक्तित्व से पहचान करवाने का पर्व है। दो किनारों को जोडऩे का काम करता है चातुर्मास। उस दर्पण के सामन है जिसमें झांककर हम जान सकते है कि धर्म के कितने नजदीक है और कितना पालन कर रहें है। यह विचार प्रवर्तक सुकनमुनि ने शास्त्रीनगर के अहिंसा भवन में चौमासी पर धर्मसभा में जताए।
अमृतमुनि ने कहा कि दूषित जीवन शैली से बचाता है अध्यात्म, वो चातुर्मास में ही सभंव है। हरीश मुनि ने कहा कि अपने जीवन की बुराइयों को समाप्त करने का महापर्व है। डॉ. वरुण मुनि ने कहा कि अपनी गलतियों की आलोचना करते सुधारने का समय है चातुर्मास। भवन अध्यक्ष अशोक पोखरणा, संरक्षक हेमन्त आंचलिया, धर्म ज्योति परिषद अध्यक्ष कंवरलाल सूरिया, रिखबचन्द्र पीपाड़ा, रणजीतसिंह बूलिया आदि ने चातुर्मास में हुई गलतियों की क्षमायाचना की। अहिंसा भवन में सुकनमुनि के सानिध्य में सोमवार प्रात: 9.30 बजे धर्मवीर लोकाशाह की जयंती ज्ञान, ध्यान, तप, त्याग के साथ मनाई जाएगी। मंगलवार को चातुर्मास का समापन समारोह होगा।
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192 रोगी लाभान्वित
भीलवाड़ा . गणेश उत्सव प्रबन्ध एवं सेवा समिति की ओर से अपना घर वृद्धाश्रम में शिविर में १९२ रोगी लाभान्वित हुए। समिति अध्यक्ष उदयलाल समदानी ने बताया कि इसमें शुगर के 80, घुटना दर्द के 73 व एक्युप्रेशर के 39 रोगी शामिल थे। रोगियों को छीतर मल अग्रवाल, श्यामसुन्दर पारीक व डॉ.सत्यनारायण नुवाल, छीतरमल अग्रवाल व श्यामसुन्दर पारीक परामर्श दिया।
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