जैन मंदिरों में बैण्ड से द्विव्य ध्वनि
प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ का कैवल्य ज्ञान कल्याण महोत्सव मनायाजैन मंदिरों में हुई पूजा अर्चना
Divine sound from bands in Jain temples in bhilwara
भीलवाड़ा।
Archana worshiped in Jain temples दिगम्बर जैन समाज की ओर से बुधवार को प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का कैवल्य ज्ञान कल्याण महोत्सव गया। शहर के सभी 17 मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना के साथ कैवल्य ज्ञान कल्याण की पूजा की गई। Archana worshiped in Jain temples आरके कॉलोनी तरणताल के सामने स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह 6 बजे से बैण्डवादन एवं ढोल की गूंज के साथ श्रावक-श्राविकाओं के समूह भक्ति एवं श्रृद्धा के साथ एकत्रित हुए। ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि सुबह 7 बजे शांति स्वरुप राजेन्द्र अजमेरा ने स्वर्ण कलश से भगवान का 108 रिद्धी मंत्रों से अभिषेक व शांतिधारा की। भागचन्द छाबडा, अशोक गंगवाल, पारसमल सोनी, विनोद फान्दोत, प्रदीप कोठारी, वैद प्रकाश बडजात्या, विनोद हुमड, रोहित गोधा ने अन्य प्रतिमाओं पर शांतिधारा की। आदिनाथ भगवान की सामूहिक पूजन के साथ कैवल्य ज्ञान कल्याण की पूजा की गई।
सचिव अजय बाकलीवाल ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण एकादशी को प्रात:काल वेला में ध्यान में लीन भगवान को उस क्षण बाहरवे गुणस्थान के अन्तिम समय में ज्ञानावरण, दर्शनावरण, अन्तराय कर्मो का नाश कर कैवल्य ज्ञान को प्राप्त हुए।
उपाध्यक्ष महेन्द्र सेठी ने मंदिर में श्रावकों को बताया कि भगवान को पूर्वतालपुर, प्रयाग के शकरावन में कैवल्य ज्ञान प्राप्त होते ही भगवान भूमि से 20 हजार फीट ऊपर समवसरण में विराजमान हो गए। देवों ने 22 करोड़ वाद्य बजाकर द्विव्य ध्वनि की। इसके प्रतिक रुप में आज मंदिर में बैण्ड से द्विव्य ध्वनि की गई। इस युग की प्रथम धर्मसभा में भगवान ने प्रथम धर्म उपदेश दिया। समवसरण में 84 गणधरों में वृषभसेन मुख्य गणधर, भरत चक्रवति मुख्य श्रोता थे।