Solar power : बिजली भी सबसे महंगी, सौर ऊर्जा पर भी कई टैक्स
सस्ती बिजली होने से 800 करोड़ के प्रोजक्ट नीमच चले गएऔद्योगिक संगठनों ने की दरें कम करने की मांग
Solar power : बिजली भी सबसे महंगी, सौर ऊर्जा पर भी कई टैक्स
जयप्रकाश सिंह
Solar power : भीलवाड़ा. देश में सबसे महंगी औद्योगिक बिजली राजस्थान में है। इसके चलते कई उद्योगों ने सोलर प्लांट लगा लिए। पहले इस पर कई छूट थी, लेकिन अब सरकार ने उस पर भी 60 पैसे प्रति यूनिट इलेक्ट्रिीसिटी ड्यूटी लगा दी। हॉल ही में हुए जिला स्तरीय समिट में 11 हजार करोड़ के विभिन्न प्रोजेक्ट के लिए एमओयू और एलओआई हुए है। ऐसे में यहां उद्योग लगाने के इच्छुक उद्यमी बिजली की दरों में कमी की मांग कर रहे हैं। समिट के दौरान भी इस सम्बन्ध में उन्होंने उद्योग आयुक्त अर्चना सिंह को अवगत कराया था। महंगी बिजली के चलते यहां से करीब ८०० करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश के नीमच में शिफ्ट हो गए।
7 साल तक नहीं लगनी थी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी
औद्योगिक संगठनों की मानें तो राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में सौर ऊर्जा नीति घोषित की थी। इसके अनुसार 7 वर्षों तक सरकार ने किसी तरह का शुल्क नहीं लेने का वादा किया था, जैसे-जैसे लोग सौर ऊर्जा की तरफ आकर्षित हुए और प्लांट लगाने लगे तो ऊर्जा विभाग ने कई तरह के शुल्क और सरचार्ज लगा दिए, जिससे उद्यमियों को सोलर एनर्जी 1 से 1.50 रुपए प्रति यूनिट महंगी पड़ने लगी। सरकार ने अप्रेल 2020 से इस पर 60 पैसे प्रति यूनिट की दर से इलेक्ट्रिीसिटी शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। अब वसूली के लिए डिस्कॉम सख्ती करने लगा है। राज्य सरकार इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी मेंं छूट के आदेश हर साल निकालती हैं, लेकिन 31 मार्च 2020 के बाद से कोई आदेश जारी नहीं होने से डिस्कॉम ने एक अप्रेल 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि का बकाया राशि जमा कराने के लिए नोटिस भेजा है। विभाग ने नेट मीटरिंग सिस्टम को भी एक अप्रेल 2021 से बन्द कर दिया है।
नए निवेश को मूर्त रूप देने में चुनौती
राजस्थान सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए हर जिले में इन्वेस्टमेंट समिट कर रही है। भीलवाड़ा में भी 11 हजार करोड़ के नए एमओयू व एलओआई हुए हैं, लेकिन अन्य राज्यों से बिजली की दर महंगी होने से इन निवेश को अमलीजामा पहनाने में बाधा आ सकती है। प्रदेश में जहां औद्योगिक बिजली 7.50 पैसे प्रति यूनिट है, वहीं अन्य राज्य में यह दर 4 से 6 रूपए प्रति यूनिट है। सोलर प्लांट से उद्यमियों को करीब 4 रूपए यूनिट बिजली पड़ रही है। इधर बिजली की दरें कम होने के कारण पिछले कुछ माह में भीलवाड़ा के उद्यमियों ने मध्यप्रदेश में करीब 800 करोड़ का नया निवेश किया है।
टेक्सटाइल उद्योगों को बिजली बहुत महंगी पड़ रही है। सोलर पावर प्लांट पर मिलने वाली छूट को समाप्त कर ६० पैसा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाने से उद्यमियों पर आर्थिक भार पड़ रहा है। पिछले दिनों उद्योग आयुक्त अर्चना सिंह के सामने भी इस मामले को उठाया था। चेम्बर ने प्रदेश की प्रस्तावित नई टेक्सटाइल पॉलिसी में बिजली की दरों में कुछ राहत देने का सुझाव भी दिया था
आर.के. जैन, महासचिव मेवाड़ चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री
वर्तमान में प्रदेश में उद्योगों की हालत ठीक नहीं है। उद्योगों को महंगी बिजली और भारी भरकम फिक्स चार्जेज की मार झेलनी पड़ रही हैं, जबकि दूसरे राज्यों में ऊर्जा विभाग उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों को ढेरों सुविधाएं दे रहे है। सौर ऊर्जा पर 60 पैसा प्रति यूनिट इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी वसूलने से उत्पादन की लागत भी बढ़ गई है। देश में सबसे महंगी बिजली के कारण यहां के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बाहर होना पड़ रहा है।
रमेश ग्रवाल, उद्यमी भीलवाड़ा
समिट के दौरान उद्यमियों ने बिजली की दरें कम करने की मांग की थी। उनकी मांग के सम्बन्ध में राज्य सरकार को ज्ञापन भिजवा दिया गया है। इस बारे में राज्य सरकार के स्तर पर ही निर्णय होगा
शिव प्रसाद नकाते, जिला कलक्टर भीलवाड़ा
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