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भीलवाड़ा

बाड ही खा रही खेत

सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय भीलवाड़ा जिले का सबसे बड़ा राजकीय बालिका विद्यालय। सवा तीन हजार से अधिक छात्राएं। पढ़ाई के लिए चार बीघा क्षेत्र में दोमंजिला भवन एवं 60 कक्ष, लेकिन छात्राएं यहां पेड़ के नीचे पढऩे को मजबूर हैं।

भीलवाड़ाSep 23, 2021 / 11:53 am

Narendra Kumar Verma

farm eating fence at bhilwara

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बाड ही खा रही खेत


भीलवाड़ा। जिले का सबसे बड़ा राजकीय बालिका विद्यालय। सवा तीन हजार से अधिक छात्राएं। पढ़ाई के लिए चार बीघा क्षेत्र में दोमंजिला भवन एवं 60 कक्ष, लेकिन छात्राएं यहां पेड़ के नीचे पढऩे को मजबूर हैं। यह हालात किसी ग्रामीण स्कूल के नहीं, वरन जिला मुख्यालय स्थित सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के हैं।
तो क्या राज्य सरकार ही जिम्मेदार
विद्यालय की इस हालत के पीछे राज्य सरकार ही जिम्मेदार बताई जा रही है। यहां सरकार ने विद्यालय का आधा परिसर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय व देवनारायण छात्रावास को आवंटित कर रखा है। शेष परिसर में भी अब सरकार एक अन्य छात्रावास खोलने की तैयारी में है।
बेहतरीन प्रदर्शन, सुविधाएं फिसड्डी
शास्त्रीनगर स्थित सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय शैक्षणिक व खेलकूद में श्रेष्ठ एवं अनुशासन के मामले में प्रदेश के बेहतरीन बालिका स्कूलों में गिना जाता है, लेकिन छात्राओं व शैक्षणिक स्टाफ की सुविधा के मामले में यह विद्यालय फिसड्डी है। लगभग ४० वर्ष पुराना विद्यालय का भवन है। यहां अभी ३२७० छात्राएं १२ वीं कक्षा तक अध्ययनरत हंै, लेकिन छात्राओं की क्षमता के अनुकूल यहां अध्यापन कार्य एवं बैठने की व्यवस्था नहीं है।
आधे परिसर में परायों का कब्जा
राज्य सरकार ने वर्ष 1998 में जिला शिक्षा विभाग को चार कक्ष व दो बड़े हाल अस्थायी रूप से दिए थे, लेकिन शिक्षा विभाग ने कई हिस्सों में यहां कब्जा जमा लिया और यहां अभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय समेत अन्य कार्यालय संचालित हैं। शिक्षा विभाग ने यह हिस्सा खाली किया ही नहीं कि वर्ष 2014 में सरकार ने सामाजिक एवं न्यायिक अधिकारिता विभाग को इसी परिसर का एक और हिस्सा देवनारायण ओबीसी स्पेशल छात्रावास के लिए दे दिया।
छह कमरें नकारा घोषित
एक के बाद एक दो विभागों के विद्यालय का बड़ा हिस्सा चले जाने से विद्यालय प्रशासन की मुसीबतें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। यहां छह कक्ष के खस्ताहाल के बाद नगर परिषद ने उन्हें नकारा घोषित कर दिया है, इससे कक्षों का टोटा और बढ़ गया। कोरोना संकट काल के कारण विद्यालय प्रशासन को राहत मिली, लेकिन अब स्कूलों के फिर खुलने से छात्राओं के बैठने की समस्या उभर आई है।
28 कक्ष, 32 कक्षाएं
यहां अभी स्थिति यह है कि कुल 28 कक्ष हैं, लेकिन कक्षाएं 32 संचालित हो रही हंै। कक्षाओं के अभाव में कक्षा ग्यारहवीं के तीन सेक्शन की छात्राओं को पेड़ के नीचे बैठा कर पढ़ाने को विद्यालय प्रशासन मजबूर है। वही विद्यालय का स्टाफ व शिक्षणकर्मी भी परेशान हैं।
माडा में खुलेगा नया छात्रावास
राज्य सरकार ने हाल ही एक आदेश जारी कर माडा योजनान्र्तगत एक बालिका छात्रावास विद्यालय परिसर में ही स्थापित करने की घोषणा की है। वही दूसरी तरफ विद्यालय में ही शिक्षा विभाग ने एक और नया कृषि संकाय खोल दिया है।
पुराने कार्यालयों का रिकार्ड देखेंगे
कोरोना संकट के कारण निजी स्कूलों से कई छात्राओं ने यहां प्रवेश लिया है, ऐसे मेंं यहां छात्राओं की संख्या बढ़ गई है। ३० सितम्बर तक हुए नामांकन के आधार पर यहां नए कक्ष का निर्माण करवाएं जाने का प्रस्ताव लेकर जिला कलक्टर को भिजवाया जाएगा, ताकि डीएमएफटी या अन्य योजनाओं के जरिए कक्षों का निर्माण हो सके। यहां संचालित अन्य कार्यालयों के रिकार्ड को भी देखेंगे।
– ब्रहmaराम चौधरी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भीलवाड़ा
अब समस्या आने लगी है
प्रदेश के श्रेष्ठ बालिका स्कूलों में विद्यालय शामिल है, लेकिन यहां कक्षों का अभाव है। विद्यालय परिसर में ही छात्रावास व अन्य कार्यालय हैं। सरकार ने यहां एक और छात्रावास संचालित करने की घोषणा की है। कोरोना संकट के कारण स्कूल बंद होने से समस्या नहीं आ रही थी, लेकिन अब कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है। यहां डीएमएफ फंड से नए कक्ष बनाने की मांग की गई है।
-आशा लढ़ा, प्रधानाचार्य,

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