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भीलवाड़ा

किसानों ने कहा 90 फीसदी खराबा, सरकार ने माना 49 फीसदी नुकसान

– कृषि विभाग ने जारी किए आंकड़े- 2.30 लाख हैक्टेयर में खराबा- बीमा 1.40 लाख हैक्टेयर का

भीलवाड़ाOct 12, 2019 / 08:47 pm

Suresh Jain

Farmers said 90 percent breakdown, government admitted 49 percent loss in bhilwara

Farmers said 90 percent breakdown, government admitted 49 percent loss in bhilwara

भीलवाड़ा।
Poor kharif crops फसलों पर मानसून की करारी मार के साथ ही अब खराबे के सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठने लगे हैं। एक ओर किसानों का कहना है कि लगातार बारिश से खेतों में ९० प्रतिशत से अधिक खराबा हुआ है। इससे उलट कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार मूंग, उड़द व तिल की फसलों में सबसे ज्यादा ७५ प्रतिशत से अधिक खराबा हुआ है। मूंगफली व सोयाबीन में ३३ से ५० प्रतिशत व मक्का, ज्वार, बाजरा, ग्वार तथा कपास में ३३ प्रतिशत से अधिक खराबे की रिपोर्ट कृषि आयुक्त को भेजी गई है। दस फसलों में औसत खराबा ४९ माना गया है, जबकि हालात इससे उलट हैं। किसानों का कहना है कि जिले में खेत के खेत बर्बाद हो गए हैं। कई खेतों में अब तक पानी भरा हुआ है।
Poor kharif crops कृषि विभाग के उप निदेशक रामपाल खटीक के अनुसार जिले में खरीफ की ३ लाख ४८ हजार ९५६ हैक्टेयर में दस तरह की फसलों की बुवाई की गई है। इसमें से २ लाख ३० हजार ४८१ हैक्टेयर में खराबा हुआ है। यह स्थिति जिले की सभी तहसीलों में है।
२.३० लाख हैक्टेयर में खराबा, १.४० लाख हैक्टेयर का ही बीमा
कृषि विभाग के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के १.४१ लाख किसानों ने ही दस फसलों का बीमा कराया है। यह बीमा १.४० लाख हैक्टेयर का करवाया गया है। इसमें ३७३ गैर ऋणी किसान भी शामिल हैं। अब बीमे के आधार पर खराबे का आकलन बीमा कम्पनी व कृषि विभाग की संयुक्त कमेटी के माध्यम से करवाया जा रहा है। इसे लेकर सोमवार को कृषि विभाग में बैठक भी होगी।
किसान बोले- हम हो गए बर्बाद
मांडलगढ़ पंचायत समिति के ग्राम पंचायत मुकंदपुरिया के पीता जी का खेड़ा निवासी भैरूलाल धाकड़ का कहना है कि १६ बीघा में फसल बुवाई पर लगभग 70 हजार रुपए का खर्चा हुआ। पूरी फसल खराब हो चुकी है। पांच रुपए भी मिलना मुश्किल है। मवेशियों के लिए चारा भी नहीं बचा है।

मांडलगढ़ के चांदमल नायक का कहना है कि छह बीघा में मक्का की फसल बोने पर २0 हजार रुपए खर्च किए थे। अतिवृष्टि से फसल बर्बाद हो चुकी है। सरकार कम से कम १५ हजार रुपए प्रति बीघा मुआवजा देना चाहिए। खेत में नमी इतनी है कि रबी की बुवाई नहीं हो पा रही है।
रामलाल तेली का कहना है कि 20 बीघा खेती में कपास व अन्य फसल की बुवाई पर ६० हजार रुपए खर्च किए। अतिवृष्टि से ९० प्रतिशत फसल खराब हो चुकी है। सरकार से राहत की उम्मीद है। अभी तक गिरदावर भी खेत पर नहीं आए हैं। कांदा के जगदीश जाट का कहना है कि खेत में २ से ३ फीट पानी भरने से फसल ही गल गई है।
सरकारी आंकड़ों पर एक नजर
फसल बुवाई खराबा प्रतिशत
उड़द ४९१९७ ३५६२० ७५ प्रतिशत से अधिक
मूंग १६०४१ १२९०० ७५ प्रतिशत से अधिक
तिल १२८१३ ११८०० ७५ प्रतिशत से अधिक
मूंगफली १२२९६ ७५०० ५० प्रतिशत तक
सोयाबीन ४९७५ ३८११ ५० प्रतिशत तक
मक्का १६४४०२ १०५००० ३३ प्रतिशत से अधिक
ज्वार ३९३८७ २७२०० ३३ प्रतिशत से अधिक
बाजरा २५१७ १११५ ३३ प्रतिशत से अधिक
ग्वार १०४५९ ४३१५ ३३ प्रतिशत से अधिक
कपास ३६८६९ २१२२० ३३ प्रतिशत से अधिक
कुल ३४८९५६ २३०४८१
(बुवाई व खराबा हैक्टेयर में)

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