स्व. रिजवान जहीर उस्मान की ओर से सन् 1980 में लिखित यह नाटक आज भी सम सामयिक लगा। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से मनाए जा रहे पांच दिवसीय नाट्य समारोह के तहत शनिवार को नगर परिषद सभागार में शिवराज सोनवाल उदयपुर के निर्देशन में मौलिक नाट्य समूह की प्रस्तुति ‘सुन लड़की दबे पंाव आते है सभी मौसमÓ नाटक का मंचन किया गया।
शोषक कितना शानदार शोषक और अत्याचारी कितने दयावान है यह लेखक ने इस नाटक में समझाने की कोशिश की है। जिन जीवन मूल्यों को व्यक्ति दूसरों के परिपेक्ष्य में सही मानता है, उन्हे ही अपने हितों की पूर्ति में गलत साबित कर देता है। स्थाई जीवन मूल्यों को बनाए रखना किसी संघर्ष से कम नहीं है और हर किसी के बस की बात भी नहीं। लेखक ने इसे भी निरपेक्ष भाव से अभिव्यक्त करने का प्रयास अपने किरदार के माध्यम से किया है।
पथ भ्रष्ट युवाओं का सीमा पर आतंकवाद एक निर्विवाद समस्या है और यह निंदनीय है। हर सरकार अपने स्तर पर इससे जूझती रही है। पर यह नाटक हमारे आस-पास, हर शहर और कस्बों के मुख्यधारा से भटके उन युवाओं की ओर इंगित करता है जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं। जिसको युवा सही या गलत समझ ही नहीं पाते हैं और जब तक समझते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
अपनी अभिनय कला से शुभम आमेटा, अनिल दाधीच, शिबली खान, सचिन भण्डारी, रवि सेन, भव्यता चौहान, निष्ठा चौहान, भूपेन्द्र चौहान, रेणुका जाजोट तथा अनिल साल्वी ने नाटक के पात्रों के साथ जिवंत नाटक का मंचन किया। मुख्य निर्माण प्रबंधक रेखा शर्मा, संगीत संचालन भूपेन्द्र चौहान व रेणुका जाजोट, मंच परिकल्पना संदीप सेन, रुप सज्जा रेखा सोनवाल, प्रकाश परिकल्पना हेमन्त मेनारिया व महेश आमेटा तथा गीत शिवराज सोनवाल का था।