राजस्थान पत्रिका के बुधवार के अंक में ‘तेल के काले कारोबार में बायो-डीजल और मिलावट का खेलÓ शीर्षक से प्रकाशित समाचार को ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के एक्जूकेटिव सदस्य एवं भीलवाड़ा गुड ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन अध्यक्ष विश्वबंधु सिंह राठौड़ ने कड़ा सच बताया है। उन्होंने बताया कि पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी और बाद में राहत के नाम पर महज झुंझुना थमा देने से ट्रांसपोर्ट व्यवसायी व चालकों का भला नहीं होने वाला है। उनका कहना है कि राज्य सरकार को ट्रांसपोटर्स को भी उद्योग का दर्जा देते हुए राहत देना चाहिए।
ब्लेक ऑयल को बना रहे मिलावटी तेल नाम नहीं छापने की शर्ते पर वाहन चालक बताते है कि एक पेट्रोलियम कंपनी के ब्लेक ऑयल का तेल की मिलावट में शामिल माफिया गलत उपयोग कर रहे है। यह किसानों के नाम पर यह ऑयल पंजाब व हरियाणा से खरीद कर ला रहे और बाद में इसको फिल्टर कर इसे नकली बायो डीजल बना कर ५० से ७० रुपए के बीच बेच रहे है। डीजल का दाम पहले सौ रुपए से अधिक होने से कई चालक यह मिलावटी तेल खरीद रहे है। वह बताते है कि हाईवे पर अभी भी सैकड़ों होटल, ढाबे, खेतों पर मिलावटी तेल का भण्डार है।
सालों से नहीं बढ़ा भाड़ा
डीजल के दाम बढऩे के बावजूद देश की प्रमुख कंपनियों ने अपने माल की सप्लाई के लिए ट्रांसपोर्ट कंपनियों का भाड़ा नहीं बढ़ाया है। कंपनिया वर्ष 2009 की ही पुरानी रेट पर ट्रांसपोर्टर को भुगतान कर रही है। कई ट्रांसपोर्टर भी आय के साधन नहीं बढऩे से अपने चालकों की पगार नहीं बढ़ा रहे और ना ही रास्ते का नुकसान भर रहे है। ऐसे में पंपों पर सौ रुपए तक मिलवाले डीजल के उपयोग के बजाए हाईवे या अन्य ठिकानों से मिलावटी रसायन के रूप में विकल्प के रूप उपयोग में ला रहे है। If the price rises, then the oil adulterers have fun