चाहे सिर कट जाए पर पेड़ बच जाए, इस वचन को उजागर करने वाले नाटक में दर्शकों की आंखें तब नम हो गईं, जब उन्होंने वृक्षों को बचाने के लिए एक के बाद एक स्त्री-पुरुषों को अपनी जान देते हुए देखा। यह दृश्य था नाटक ‘खेजड़ी की बेटी का, जो शनिवार को रंगकर्मी अशोक राही के निर्देशन में नगर परिषद सभागार में मंचित हुआ। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में पीएफए के पूर्व जिलाध्यक्ष स्व. मांगीलाल विश्नोई की पुण्यतिथि के अवसर पर मंचित यह नाटक 287 साल पुरानी सत्य घटना पर आधारित है।
READ: मां ने अपनी गलती छिपाने के लिए किया ऐसा घिनौना काम, जरा से भी नहीं कांपे हाथ सुनकर आपका भी खून खौल उठेगा जब जोधपुर के दीवान गिरधर भंडारी के आदेश पर कारीगर खेजड़ली ग्राम में पेड़ काटने आते हैं तो 363 विश्नोई लोग पेड़ों से लिपट जाते हैं और कुल्हाडि़यों के वार अपने बदन पर सहते हुए जान दे देते हैं।
ये थे अतिथि
कार्यक्रम में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन जसवन्तसिंह विश्नोई, यूआईटी अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल, एसपी एसीबी अजमेर कैलाश विश्नोई. एसपी प्रदीप मोहन शर्मा, उद्योगपति रामपाल सोनी, आरएल नोलखा, तिलोख छाबड़ा तथा भाजपा जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल अतिथि थे। इस मौके पर पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने कलाकारों की टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस नाटक के निर्देशक अशोक राही राजस्थान पत्रिका में बात करामात स्तम्भ लिखते हैं। ये स्तम्भ इतना सटीक है कि जिसने सुबह इनका कॉलम पढ़ लिया। उसे उस दिन की बड़ी घटनाक्रम समझ में आ जाएगी।
READ: बैंक मैनेजर ने पत्नी को पीहर में छोड़ा, पत्नी डेढ़ साल की मासूम बेटी को लेकर पहुंची घर तो उसके किया ये जिसकी किसी को आशा नहीं थी
इनका किया सम्मान
कार्यक्रम में महेन्द्रसिंह कच्छावा जयपुर, हिम्मताराम भांभू नागौर, वि_ल सनाढ्य बंूदी, सुनील जागेटिया जिलाध्यक्ष पीएफए भीलवाड़ा तथा रूकमणीदेवी विश्नोई को उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
इनका किया सम्मान
कार्यक्रम में महेन्द्रसिंह कच्छावा जयपुर, हिम्मताराम भांभू नागौर, वि_ल सनाढ्य बंूदी, सुनील जागेटिया जिलाध्यक्ष पीएफए भीलवाड़ा तथा रूकमणीदेवी विश्नोई को उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया।