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भीलवाड़ा

inside story of Bhilwara जानिए, भीलवाड़ा की अंदर की बात

Know, the inside story of Bhilwara नेताजी के मंत्री होने से उनका नाम सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, लेकिन चर्चा यह है कि जिस सोशल मीडिया पर उनका नाम पर सुर्खियों में है,उसी से उन्हें परहेज भी है, यही कारण है कि वह ग्रुपों से लेफ्ट है, जनता जिस नम्बर से उन्हें अपना दुखड़ा बताना चाहती है, वह सोशल मीडिया से कट ऑफ है।

भीलवाड़ाJan 17, 2022 / 12:17 pm

Narendra Kumar Verma

Know, the inside story of Bhilwara

Know, the inside story of Bhilwara

Know, the inside story of Bhilwara नरेन्द्र वर्मा की कलम से

मंत्री जी ने क्यूं बना रखी दूरी…कोरोना का किसी एक पार्टी से नाता नहीं रहा है, कोरोना की चपेट में जिले के छुट भैय्या से लेकर बड़े नेता जी तक चपेट में आए है। रविवार को जिले व प्रदेश के बड़े नेताजी भी कोरोना की चपेट में आ गए, नेताजी के मंत्री होने से उनका नाम सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, लेकिन चर्चा यह है कि जिस सोशल मीडिया पर उनका नाम पर सुर्खियों में है,उसी से उन्हें परहेज भी है, यही कारण है कि वह ग्रुपों से लेफ्ट है, जनता जिस नम्बर से उन्हें अपना दुखड़ा बताना चाहती है, वह सोशल मीडिया से कट ऑफ है। हालांकि उनके करीबी मानते है कि कई तो गुड मार्निग, गुड नाइट व मोहल्ले की समस्या से ही उपर नहीं उठ पा रहे है, जबकि कईयों का तबादलों की अनुशंसा कराने का मोह अभी तक नहीं छूटा है। ऐसे में अब मंत्रीजी भी क्या करें
दम है तो उनके हो रहे काम…दम है तो नाम है, यही दम अब कांग्रेस के सभी खेमों में नजर आ रहा है, लेकिन एक खेमा जयपुर से लेकर अब दिल्ली तक मजबूत है, इसी मजबूती का असर दिखाने में यह खेमा नहीं चूक रहा है, पुरानी अदावत का हिसाब चुकता करने के लिए गढ़े मुद्दे भी उखडऩे लगे है। चर्चा है कि गत दिनों पूर्व सरंपच की एक मामले में हुई गिरफ्तारी आसान नहीं थी, लेकिन मजबूत खेमे ने ताल ठोकी तो खाकी जी भी समूचे मामले में बेबस नजर आए, जो धाराएं अभी तक नजर नहीं आ रही थी, वह धाराएं बोल उठी। दूसरे खेमे ने पूर्व सरंपच जी का पूरे बचाव की कोशिश भी की लेकिन उनकी चल नहीं पाई। खास चर्चा यह है कि अब कई मामले तो ऐसे है, जिनमें सिर्फ रिपोर्ट के आधार पर ही थानेदार उनके दम पर अपना डंडा चला रहे है। Know, the inside story of Bhilwara
थाने से विदाई की उम्मीद पर फिरा पानी..निष्ठा एवं समर्पित भाव से खाकी की सेवा की, जनता का भरोसा मिला और आला अधिकारी भी शाबासी देते आए, ऐेसे में ख्वाहीश भी यह थी कि जब राजकीय सेवा से सेवानिवृत्ति मिले तो विदाई भी दमदार हो, इसकी भी वह तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना संकट काल में भीड़ क्या जुटी की थानेदारजी के अरमानों पर पानी फिर गया। कोरोना गाइड लाइन की पालना नहीं कराने की गाज उन पर गिर पड़ी, रिटायर्डमेंट से महज कुछ दिन पहले उन्हें लाइन हाजिर होना पड़ गया और थाना छूट गया। चर्चा है कि उन्होंने अपने स्तर पर भीड़ नहीं जुटे, इसका पूरा प्रयास किया, चालान तक काटे, लेकिन जनता ही अनुशासन नहीं दिखा सकी।
साइन बोर्ड ही उखाड़ ले गए…यह पब्लिक है सब कुछ जानती है, इसके बावजूद पब्लिक से जुड़े विभाग जनता की ही अनदेखी कर रहे है। शिकायतों के ढेर है पर असरकारक कार्यवाही नजर नहीं आ रही है, अतिक्रमण, अवैध कब्जे के मुद्दे तो सरकारी फाइलों में ही सिमट कर रह गए है, इन सबके बीच खास चर्चा यह है कि नगर परिषद के करिंदे हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे है, वह भी जनता को राहत देने के लिए कुछ ना कुछ तो कर ही रहे है। उनकी कार्यवाही का आलम यह है कि बड़े अतिक्रमण एवं अवैध कब्जे नहीं हट सके तो वह शहर के कई चिकित्सकों व प्रतिष्ठजनों के घरों के बाहर लगे साइन बोर्ड ही उखाड़ ले आए। चर्चा यह है कि कई चिकित्सक व प्रबृद्धजन अपने साइन बोर्ड एकाएक गायब होने से सकते में है, समझ ही नहीं पा रहे है कि वह अपनी शिकायत पुलिस को करें या फिर परिषद को। Know, the inside story of Bhilwara

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