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भीलवाड़ा

चूहे के यूरिन से फैलती है यह बीमारी, राजस्थान में साढ़े 4 साल की बालिका संक्रमित

भीलवाड़ा में लेप्टोस्पायरोसिस का रोगी मिला है। यह खतरनाक मानी जा रही बीमारी का प्रदेश में पहला रोगी है। चूहों से होने वाली बीमारी खासतौर पर बच्चों को निशाना बनाती है।

भीलवाड़ाJan 20, 2024 / 11:08 am

Suresh Jain

भीलवाड़ा में मिला राजस्थान का पहला लेप्टोस्पायरोसिस रोगी

भीलवाड़ा में मिला राजस्थान का पहला लेप्टोस्पायरोसिस रोगी

भीलवाड़ा में लेप्टोस्पायरोसिस का रोगी मिला है। यह खतरनाक मानी जा रही बीमारी का प्रदेश में पहला रोगी है। चूहों से होने वाली बीमारी खासतौर पर बच्चों को निशाना बनाती है। इस रोग से पीडि़त एक बालिका यहां के निजी अस्पताल में भर्ती है।

 

भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ के माकडिया निवासी गायत्री शर्मा ने बताया कि उसकी साढ़े चार साल की बेटी डिम्पल को कुछ दिन पहले तेज बुखार आया। शरीर पर फफोले पड़ गए। माताजी मान घर पर इलाज किया। फिर मांडलगढ अस्पताल ले गए, जहां से भीलवाड़ा रैफर कर दिया।

यहां निजी अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो डिम्पल को भर्ती किया। कई जांच के बाद बीमारी पकड़ में नहीं आई। लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उस आधार पर इलाज किया गया। डॉक्टर का मानना है कि भीलवाड़ा जिले का ही नहीं बल्कि राजस्थान का संभवतया पहला मामला है।


कोरोना से खतरनाक है बैक्टीरिया

विशेषज्ञों के अनुसार, लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से खतरनाक है। कोरोना में मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की दर 3 से 10 फीसदी है। इस बीमारी के वाहक चूहे हैं। चूहे ने कहीं यूरिन किया और कोई कटी त्वचा का शख्स उसके संपर्क में आए तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका रहती है। यह बैक्टीरिया छह माह पानी में जिंदा रहता है। जुलाई से अक्टूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होता है।


इस रोग के लक्षण

बुखार, शरीर, पीठ और पैरों में तेज दर्द, आंख में लाली, पेट दर्द, खांसी, खांसी के साथ खून आना, सर्दी के साथ बुखार और शरीर में लाल चकते। बुखार 104 डिग्री से अधिक हो सकता है।


ये बरतें सावधानी

चूहे घर में हैं तो सावधानी बरतें
जिस तालाब में जानवर जाते हैं, वहां नहाने से बचें
घर के पालतू जानवरों की सफाई पर ध्यान दें
बाहर से लाए प्लास्टिक के पैकेट को साफ कर इस्तेमाल करें
मानसून के दौरान स्विमिंग, वाटर स्कीइंग, सेलिंग से बचें


शरीर के सभी अंग होते हैं प्रभावित

लेप्टोस्पायरोसिस चूहे के मूत्र से बच्चों में फैलती है। इसमें डेंगू की तरह बुखार आएगा। शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। पहले सामान्य बुखार होता है। लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं। सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है। कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है। एक बालिका में यह रोग देखा गया है। अब वह ठीक है।
डॉ. अतुल हेड़ा, शिशु रोग विशेषज्ञ

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