महापुरुषों का जीवन अमृतमय
कलशाभिषेक समारोह व विधान का समापन आज
महापुरुषों का जीवन अमृतमय
भीलवाड़ा।
महापुरुषों के जीवन का आंकलन करना साधारण बात नहीं है। वे तृष्णा की नदी पार कर जाते है।ं उनके लिए रोग भी वैराग्यता का कारण बन जाता है। वे समता के उस धरातल पर पहुंच जाते हैं, जहां से मोक्ष का मार्ग जाता है। महापुरुष सदैव अमृतमय होते है, जो दूसरों को भी जीवन दान देते है। यह बात ब्रह्मारी विनोद भैया ने आचार्य चारित्र चक्रवर्ती शांतिसागर महाराज के जीवन चरित्र पर अखिल भारतीय दो दिवसीय विद्वत गोष्ठी में कही। मंगलाचरण विजय भैया ने किया। शांतिसागर महाराज ने कहा कि हम जो पुरुषार्थ करते है, वही हमारा भाग्य बन जाता है। शांतिसागर महाराज के जीवन पर बोलते हुए प्राकृत भाष के विद्वान डॉ धर्मेन्द्र ने बताया कि आचार्य व्यसन मुक्ति दलितों के उद्धार, रुढिय़ों एवं पारम्परिक अंधविश्वास को समाप्त करने के साथ महिला शिक्षा पर बहुत जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को अध्यापन एवं चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने का आह्वान किया। प्रोफेसर शीतल चन्द्र, ब्रह्मचारी अनिल भैया एवं डॉ जयकुमार जैन ने भी संबोधित किया। सातवे दिन देव शास्त्र गुरु एवं 24 भगवान की पूजा की गई।
आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि अभिषेक क्रिया में रूपचन्द, नरेश गंगवाल, धनराज, अजय टोंग्या, प्रेमचंद, जम्बू भैंसा, भागचन्द गोधा ने शांतिधारा की। राजेन्द्र कुमार, संजय छाबड़ा ने पादपक्षालन किया। शांता व सुशीला बहन ने शास्त्र भेंट किए।
रविवार को हवन के साथ विधान का समापन होगा। उसके बाद प्रात: 9 बजे से आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर आरके कॉलोनी का वार्षिक कलशाभिषेक समारोह होगा। इसमें उपवास करने वाले श्रावक-श्राविकाओं, विशेष प्रतिभाशाली विद्यार्थियों एवं राज्य एवं देश स्तर पर प्रतिनिधित्व किए खिलाडियों का सम्मान किया जाएगा।
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