35 लाख रुपए की लागत
दादाबाड़ी स्थित पंचमुखी मुक्तिधाम पर नगर परिषद ने वर्ष-2012 में आधुनिक एलपीजी शवदाह गृह (गैस) का निर्माण कराया था। निर्माण पर 35 लाख रुपए की लागत आई थी। इसमें 25 लाख रुपए तत्कालीन राज्यसभा सदस्य वीपी सिंह ने सांसद कोष से दिए व दस लाख परिषद ने खर्चे किए। यहां करीब पन्द्रह लाख रुपए की मशीन लगाई जबकि एलपीजी गैस प्लांट व प्रतीक्षालय बनाया गया।
अंतिम संस्कार में लगते दो घंटे
एलपीजी शवदाह गृह में अंतिम संस्कार में करीब दो घंटे लगते है। डेढ़ घंटा दाह में लगते है जबकि आधा घंटा अस्थियों को ठंडी होने में लगता है। यहां अभी तक 132 दाह संस्कार हो चुके हैं। कोरोना काल में एक भी अंत्येष्टि एलपीजी से नहीं हुई। यहां कांच का चेम्बर है। अंतिम संस्कार पर एक से डेढ़ टंकी एलपीजी सिलेंडर खर्च होती है। पूर्व में यहां नि:शुल्क दाह संस्कार किया जाता है। गत दो साल से यहां एलपीजी पर दाह संस्कार नहीं हुआ।
लकडिय़ों से अंतिम संस्कार की मान्यता
पंडित अशोक व्यास बताते है कि हिन्दू संस्कृति में लकडिय़ों (अग्नि संस्कार) से अंतिम संस्कार की मान्यता है। इसमें कपाल क्रिया वैदिक मंत्रोच्चार के बीच होती है। विधि विधान से अस्थि कलश घर ले जाते हैं। वहीं एलपीजी से कपाल क्रिया संभव नहीं है। मंत्रोचार भी नहीं हो पाते हैं। ऐसे में अग्नि संस्कार के जरिए ही मोक्ष प्राप्ति की धारणा है। अन्य समुदायों में भी अपने अपने ढंग से अंतिम संस्कार का रिवाज है।
लावारिस व निराश्रितों के अधिक
नगर परिषद के अधिशासी अभियंता सूर्यप्रकाश संचेती ने बताया कि नगर परिषद की देखरेख में शवदाह गृह का निर्माण हुआ। रखरखाव व संचालन के लिए पंचमुक्ति मोक्षधाम विकास समिति को दिया। शवदाह गृह में एक साठ फीट ऊंची चिमनी है। यहां अधिकांश अंतिम संस्कार लावारिस व निराश्रितों के ही हुए हैं। मशीन की मरम्मत के लिए वडोदरा से इंजीनियर आते है।
सर्व समाज को भी जागरूक होना होगा
पंचमुक्ति मोक्षधाम विकास समिति पंचमुक्ति सचिव बाबूलाल जाजू ने बताया कि पंचमुखी मुक्ति मोक्षधाम देश के आधुनिक मोक्षधाम में शामिल है। यहां एलपीजी शवदाह गृह भी है। यहां अभी तक 132 अंतिम संस्कार हुए है। कम होते जंगल एवं पेड़ों को बचाने की दिशा में यह एलपीजी शवदाह लगाया गया, लेकिन इसके प्रति जागरूकता अभी नहीं दिखी है। सरकार को इसकी उपयोगिता को लेकर लोगों में व्यापक प्रचार प्रसार करना चाहिए। सर्व समाज को भी जागरूक होना होगा।