नगर विकास न्यास ने भले ही यहां लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिया, लेकिन शहरी बाशिन्दें यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते झील से दूर होते जा रहे है। हालात ये है कि शहर के अंतिम छोर पर पटेलनगर में विकसित की गई ये कृत्रिम झील आवारा तत्वों का जमघट बन कर रह गई है।
वहीं झील के पानी की सफाई को लेकर न्यास के गंभीर नहीं होने से भी यहां मौसम बदलते ही पानी बदबूं मारने लगता है। यहां मत्स्यों के मरने की स्थिति में गुजरना भी दुश्वार हो जाता है।
बोट ही उलटी पड़ी दीपावली की छुट्टियों में यहां बोट का आनन्द लेने आने वाले लोगों को निराश ही होना पड़ रहा है। यहां बोटिंग लम्बे समय से बंद है। इसी प्रकार यहां चौपाटी पर भी बिक रहे व्यंजनों की शुद्धता व गुणवत्ता को लेकर शिकायतें हैं। यहां गोताखोरों की तैनाती नहीं होने से हादसे की आशंका रहती है। क्षेत्र में पुलिस गश्त के भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।