master plan ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह ने इस सम्बन्ध में संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखा है। जल्द ही इस पर कार्य शुरू होगा। गांवों के मास्टरप्लान की गाइड लाइन १४ अक्टूबर का जारी कर दी गई। मास्टरप्लान तैयार करने का खर्च पंचायतों को मिलने वाली अनुदान राशि के प्रशासनिक मद से किया जाएगा। चिह्नित जमीन यथा समय स्वीकृत करने की कार्रवाई अलग से की जाएगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, आबादी विस्तार, खेल सुविधा, पार्क, सड़क व विकास की आवश्यकताओं का आकलन हो सकेगा। ऐसे में अतिक्रमण व किसी तरह का विवाद भी पंचायत के सामने नहीं आएगा।
ऐसे तैयार होगा मास्टरप्लान
ऐसे तैयार होगा मास्टरप्लान
वर्ष 2011 की १० हजार की जनसंख्या वाले गांवों को मास्टरप्लान से जोड़ा था। बाद में आबादी घटाकर पांच हजार की गई। अब जनसंख्या में 50 प्रतिशत वृद्धि मानते हुए वर्ष 2050 के संभावित आंकड़े के आधार पर प्रत्येक पंचायत का मास्टरप्लान तैयार किया जाएगा। गांव का विस्तार सभी दिशाओं में करने के प्रयास किए जाएंगे। सुविधाओं के लिए प्रस्तावित भूमि के साथ ही सड़क, गतिविधि विस्तार का ध्यान रखना होगा। आसानी से उस जगह तक पहुंच हो। वर्ष 2012 के पशुधन आंकड़ों को 28 प्रतिशत बढ़ाकर 2050 तक पशुधन का आकलन किया जा सकेगा। मास्टरप्लान की प्रगति के संबंध मेें सूचना पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।
एेसे चिह्नित की जाएगी जमीन
एेसे चिह्नित की जाएगी जमीन
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपालराम बिरड़ा ने बताया कि आबादी भूमि विस्तार के लिए भूमि, पशु जनसंख्या के लिए आवश्यक सुविधा, पार्क, वन संरक्षण, तालाब, बावड़ी, प्राकृतिक सौंदर्य स्थल का विकास, चारागाह भूमि, वर्षा जल संग्रहण एवं संरक्षण के लिए स्थान चिह्नित करने, स्कूल, कॉलेज, पशुधन व डेयरी विकास, गोशाला, बिजली सब स्टेशन, पार्क, सामुदायिक केंद्र, मिनी सिनेमा हॉल, सरकारी कार्यालय, अधिकारी-कर्मचारी आवास, सामुदायिक शौचालय, व्यवसाय केंद्र, लघु उद्योग केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर, विलेज हाट, कृषि मंडी, दूध मंडी, बस स्टैंड के लिए भूमि का चिह्नीकरण करना होगा।