अब चुनावी साल में सरकार ने इसमें बड़ा संशोधन कर दिया है। इसमें 0.18 हैक्टेयर से चार हैक्टेयर तक की सीमा निर्धारित कर दी है। हालांकि मिनरल में छूट को लेकर अभी संशय बना हुआ है। इस संशोधन के आते ही खान विभाग के कार्यालय में पूछ-परख शुरू हो गई है। उधर, बिजौलियां में सेंड स्टोन के क्वारी लाइसेंस अटके हुए है। क्योंकि यहां खातेदारी में सेंड स्टोन के क्वारी लाइसेंस कितने एरिये में देने हैं और क्या किस्म रहेगी, यह भी इस नीति में स्पष्ट नहीं किया है।
कम जमीन तो भी मिल जाएगा पट्टा अभी खातेदारी भूमि में खान आवंटन मे बड़ी परेशानी यह थी कि चार हैक्टेयर भूमि होना जरूरी था। यह भूमि उपलब्ध नहीं होने पर पड़ोसी की जमीन लेनी पड़ती थी। इसमें सहमति लेने में काफी परेशानी होती थी। अब सरकार ने इसकी एरिया बदल दिया है। इससे पड़ोसी की जमीन पर निर्भरता खत्म होगी। जितनी जमीन होगी, उतने में ही खनन का अधिकार मिल जाएगा। यह पट्टे बिना नीलामी के मिलेंगे।
खरीद ली जमीनें, अब मिलेंगे पट्टे
अभी संशय है…
बिजौलियां में सेंड स्टोन में क्या असर रहेगा, इस पर अभी संशय है। यहां का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एेसे में बिजौलियां को कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा है।
रामप्रसाद विजयवर्गीय, कार्यालय मंत्री ऊपरमाल पत्थर खान व्यवसायी संघ
इस आदेश से जिले में अवैध खनन रूकेगा। साथ ही छोटी खानें खुल सकेगी। किस मिनरल में क्या स्थिति रहेगी यह फिलहाल स्पष्ट नहीं हुआ है। इससे रोजगार भी बढ़ेगा।
कमलेश्वर बारेगामा, खनि अभियंता
सेंड स्टोन पर संशय
बिजौलियां में सेंड स्टोन उद्योग को फिलहाल राहत नहीं मिली है। खातेदारी में सेंड स्टोन के क्वारी लाइसेंस लेना है तो चार हेक्टेयर तक जमीन होना जरूरी है। बंजर, बारानी व असिंचित जमीन होना जरूरी था। अब यह मामला न्यायालय में है। इसलिए बिजौलियां में क्या नीति रहेगी, इसे स्पष्ट नहीं किया है। खान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बिजौलियां के लिए अलग से आदेश जारी हो सकते हैं।