scriptदीपावली पर चंद्र-मंगल का केंद्र व शनि का शश योग | Moon-Mars center and Shani's Shasha Yoga on Diwali | Patrika News
भीलवाड़ा

दीपावली पर चंद्र-मंगल का केंद्र व शनि का शश योग

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है यह संयोग

भीलवाड़ाOct 28, 2021 / 08:39 am

Suresh Jain

दीपावली पर चंद्र-मंगल का केंद्र व शनि का शश योग

दीपावली पर चंद्र-मंगल का केंद्र व शनि का शश योग

भीलवाड़ा।
दीपावली इस बार चंद्र-मंगल के केंद्र तथा शनि के शश योग की साक्षी में मनाया जाएगा। दीपावली पर इस प्रकार के शुभ योगों का संयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है। दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का यह विशिष्ट संयोग 30 साल बाद बन रहा है। पंडित अशोक व्यास के अनुसार 4 नवंबर को दीपावली के दिन चित्रा नक्षत्र में आरंभ होगी तथा स्वाति नक्षत्र की साक्षी में प्रीति व आयुष्मान योग के संयुक्त क्रम में दीपोत्सव मनाया जाएगा। ग्रह गोचर की गणना से देखें, तो दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का विशेष अनुक्रम बन रहा है। जिसमें केंद्र के तहत चंद्र, मंगल, शनि का विशेष संयोग रहेगा। यह भी कहा जा सकता है कि यह उत्तरोत्तर वर्गोत्तम रहेंगे। साथ ही सूर्य, मंगल व चंद्र की युति विशेष लाभ देने वाली रहेगी। यही नहीं केंद्र में शुभ ग्रहों का योग भी सहयोगात्मक रहेगा।
इसलिए बन रहा शश योग
ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष योग का उल्लेख मिलता है। उन्हीं योगों में एक शश नाम का योग भी है। यह योग शनि के स्वराशि में केंद्रगत होने से बनता है। इस बार शनि स्वयं की राशि मकर में रहेंगे।
पूजन के लिए प्रदोषकाल विशेष
दीपावली पर पूजन की मान्यता मुहूर्त विशेष पर निर्भर करती है। यदि श्रेष्ठ मुहूर्त में पूजन किया जाए, तो श्रेष्ठ फल मिलता है। लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय प्रदोषकाल है। इसी समय वृषभ लग्न की साक्षी भी रहती है। इस बार प्रदोष काल शाम 6:20 से रात्रि 8:20 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
पांच दिवसीय पर्व का इतिहास और महत्व
दीपावली का पर्व कार्तिक महीने में पड़ता है। इस त्योहार को धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया जाता है। पांच दिन तक चलने वाला यह त्योहार धनतेरस के दिन से शुरू होता है और भाई दूज के दिन इस पर्व का समापन होता है। इस बार दीपावली का त्योहार 4 नवंबर को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा।
दीपावली का इतिहास
दीपावली को लेकर विभिन्न प्रथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता है कि भगवान राम जब रावण का वध करके माता सीता के साथ अयोध्या वापस आए थे, तो उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने नगर को सजाया था। उन्होंने लाखों द्वीप जलाकर हर्षोल्लास के साथ उनके आगमन पर खुशी मनाई थी। इसके अलावा दीपावली पर्व के दिन ही माता लक्ष्मी का अवतार इस सृष्टि में हुआ था। एक मान्यता यह भी है कि इस दिन ही पांडवों को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिला था और खुशी में नगर को दीपों से सजाया गया था।
दीपावली का महत्व
दीपावली पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। जीवन के घने अंधकार को छोड़कर प्रकाश की ओर ले जाने वाला त्योहार है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश का विधिवत पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन की देवी तो गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। दीपावली के दिन इनकी पूजा करने से लोगों को बुद्धि और धन की विशेष प्राप्ति होती है। इसलिए दीपावली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना की जाती है।

Home / Bhilwara / दीपावली पर चंद्र-मंगल का केंद्र व शनि का शश योग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो