एनसीआरबी के आंकड़े चौंकाते हैं क्योंकि इनमें नाबालिगों के संगीन अपराधों में लिप्त होने का जिक्र है। यहां तक कि कत्ल तक में हाथ नहीं कांपे। बीते साल राजस्थान में 66 हत्या की वारदात को नाबालिगों ने अंजाम दिया। भीलवाड़ा जिले में हत्या के तीन मामले हुए, जिनमें नाबालिग का हाथ था।
राज्य में अपराध, जिन्हें नाबालिगों ने दिया अंजाम
मामले प्रदेश भीलवाड़ा
हत्या 66 03
हत्या का प्रयास 126 10
हत्या की साजिश 30 05
अपहरण 142 10
लूटपाट 857 34
लापरवाही पूरक टक्कर — 16
छेड़छाड़ 151 10
नशा और हिंसक वीडियो गेम भी जिम्मदार
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वीरभान चंचलानी ने बताया कि ड्रग्स और नशे की लत नाबालिग को हिंसक बना रही है। बच्चे गांजा, तंबाकू व चरस का नशा करते हैं। साइकोट्रोपिक दवा का सेवन भी आम बात है। नशे के अलावा ऑनलाइन गेम, खासकर मारधाड़ और बंदूकबाजी के गेम बच्चों और युवाओं को हिंसक बना रहे हैं। जो बच्चे गन वॉयलेंस वाले वीडियो गेम खेलते हैं, उनमें गन पकड़ने और ट्रिगर दबाने की इच्छा ज्यादा होती है।
ऐसे अपराधों का अंजाम
बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक धर्मराज प्रतिहार ने बताया कि जिनकी उम्र 18 साल से कम है, उसे नाबालिग माना जाता है। ऐसे अपराधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई पालड़ी के किशोर न्याय बोर्ड में होती है। दिसंबर 2012 में दिल्ली के निर्भया कांड के बाद इस कानून में संशोधन किया गया। उसमें प्रावधान किया कि अगर 16 साल या उससे ज्यादा उम्र का कोई किशोर जघन्य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क की तरह बर्ताव किया जाएगा।
सोशल मीडिया से बनाएं दूरी
राजकीय बाल सम्प्रेषण एवं किशोर गृह के अधीक्षक गौरव सारस्वत ने बताया कि बच्चों को अपराध की दुनिया से दूर रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम शिक्षा है।
– हर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूल भेजे।
– सामाजिक कुरितियां समाप्त हो।
– माता-पिता को शिक्षा से जोड़े।
– बाल विवाह या आटा-साटा परम्परा को समाप्त करना चाहिए।
– बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए।