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भीलवाड़ा

कोरोना नहीं, अपने ही दे रहे दर्द

भीलवाड़ा। कोरोना वायरस ने दूरियां बढ़ाने के साथ सामाजिक ताना-बाना भी छिन्न भिन्न कर दिया, इस बीमारी के डर ने जहां लोगों में दूरियां बढ़ा दी, वही कई मामलों में पीडि़त को लोगों के तिस्कार और अपमान का सामना करना पड़ा, पर समाज के कटू अनुभव बताए, ऐसे ही मन को झकझोर देने वाले कई मामले इन दिनो सामने आए।

भीलवाड़ाMay 23, 2020 / 12:54 pm

Narendra Kumar Verma

Not corona, giving pain on its own

Not corona, giving pain on its own

भीलवाड़ा। कोरोना वायरस ने दूरियां बढ़ाने के साथ सामाजिक ताना-बाना भी छिन्न भिन्न कर दिया, इस बीमारी के डर ने जहां लोगों में दूरियां बढ़ा दी, वही कई मामलों में पीडि़त को लोगों के तिस्कार और अपमान का सामना करना पड़ा, पर समाज के कटू अनुभव बताए, ऐसे ही मन को झकझोर देने वाले कई मामले इन दिनो सामने आए। Not corona, giving pain on its own

इनकार कर दिया पिता के अंतिम संस्कार से
लॉक डाउन प्रथम में शास्त्रीनगर क्षेत्र में अलग रह रहे वृद्ध पिता की मौत पर पुत्र ने शव लेने से इनकार कर दिया, कहा इनकी मौत कोरोना से हो सकती है और हम खतरा नहीं उठा सकते है, परिवार में बच्चे है, प्रशासनिक टीम ने दबाव बनाया तो पुत्र ने पिता के नेत्रदान व देहदान करने और शव को होस्पीटल ही ले जाने की बात कही, लेकिन प्रशासनिक टीम ने कोरोना काल में नेत्रदान व देहदान होने से इनकार कर दिया। पुत्र फिर भी शव लेने को राजी नहीं हुआ। कोतवाली प्रभारी को समझाइश के लिए भेजा गया। समझाइश के दौरान ही उसने स्वास्थ्य योद्धाओं के जरिए ही अंतिम संस्कार का सुझाव दे दिया, लेकिन पुलिस ने फिर अपना दांव अपनाया, इसके बाद पुत्र अंतिम संस्कार के लिए राजी हो सका। corona in bhilwara

यह नहीं रह सकता पड़ोस में
लॉक डाउन थ्री में सांगानेर रोड स्थित कॉलोनी के एक परिवार ने जयपुर में फंसे विद्यार्थी पुत्र को मुश्किल भरे जतन कर बुलाया, लेकिन मकान मालिक ने घर में घुसने से मना कर दिया, आसपड़ोस भी आशंकित हो गए और अपने दरवाजे भी बंद कर दिए, इस पर परिजनों ने दिल पर पत्थर रख कर पुत्र के दोस्त की मदद ली और उसके पास ठहराया। दोनों दोस्तों ने बिना पंख व कूलर के कमरे में तीन दिन बिताए, कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद परिजनों ने राहत महसूस की और बेटे के लिए घर का रास्ता खोला। इसमें भी कोरोना फाइटर्स समझाइश के लिए आए

घर में ही बन गई काल कोठरी
लॉक डाउन टू में कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव आने के बाद घर लौटी महिला के लिए जिन्दगी के मायने बदल गए थे, जिस आस पड़ोस की वो चेहती थी, उसी पड़ोस के लिए आंखों की कीरकीरी बन गई, घर के बरामद में भी नजर आना खटकने लगा। पडोसियों की बेरूखी से घर का ही एक कक्ष काल कोठरी बन गया, कोरोना फाइटर्स ने परिजनों व पड़ोस के साथ समझाइश की तो उसे राहत मिल सकी।

अधिकारी टिफिन उठाने को हुआ मजबूर
लॉक डाउन थ्री में कुवाडा रोड स्थित होटल में स्थापित क्वांरटीन में संदिग्ध रोगियों ने भोजन के बाहर टिफिन बाहर छोड़ दिए, यहां सफाई व्यवस्थाओं में जुटे सफाई कर्मियों ने कोरोना होने का भय से टिफिन के हाथ नहीं लगाए, नगर परिषद के अधिशासी अभियंता अखेराम बडोदिया के कहने पर भी किसी ने टिफिन के हाथ नहीं लगाए और अन्य क्वांरेटीन में जाने से भी मना कर दिया। इस पर बडोदिया ने स्वयं टिफिनों को उठाया और अन्य क्वांरटीन में ही स्वयं टिफिन उठा लेने की बात कही, इसके बाद ही कुछेक सफाई कर्मियों का मन बदला और वो भी बडोदिया के साथ जुट गए।

अधिकारियों के ही उड़ गए होश
लॉक डाउन प्रथम में कोरोना पॉजिटिव वृद्ध की मृत्यु के बाद चिकित्सा सेवा में जुटे चिकित्सकों ने परिजनों को ढांढ़स बंधाया, वही आला अधिकारियों ने करीबी रिश्तेदारों को बुला कर बताया कि वो अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकेंगे। इस पर वो बिलख उठे और समीप पहुंच कर अंतिम दर्शन करने की याचना करने लगे, ऐसे में अधिकारियों की भी आंखे भर आई, लेकिन उन्होंने कोरोना के खतरे से दूर रहने की समझाइश की। इस पर वो मान भी गए, उसी दिन चिकित्सा अधिकारियों की नींद उस वक्त उड़ गई उन्हें पता चला कि अंतिम दर्शन के लिए जो गुहार कर रहे थे वो भी पॉजिटिव पाए गए। रात भर सोए नहीं और अगले दिन उन्होंने पूरी जांच करवाई।
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एक्सपर्ट व्यू: डॉ. वीरभान चंचलानी, सहायक आचार्य मनोरोग विभाग
भ्रामक खबरों ने बढ़ाया कोरोना का भय

देश में अचानक वैश्विक महामारी के रूप में आए कोरोना से अधिकांश लोगों में अनचाहा भय व्याप्त हो गया है, कई लोगों को लगने लगा है कि ये उन्हें या उनके परिवार को इससे नुकसान पहुंच सकता है। इसके पीछे मुख्य कारण कोरोना को लेकर कई तरह की भ्रांतिया व भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया के साथ ही अन्य स्रोतो से मिलना है। इससे लोगों के दिलो दिमाग पर काल्पनिक तस्वीर भी घर करने लगी है, जो कि चिंता जनक है, लोगों को ये समझना चाहिए कि भारत में मृत्यु का आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले न्यूनतम और सबसे कम है। देश में बड़ी संख्या में लोग ठीक हो रहे है, भीलवाड़ा को ही ले लिजिए यहां एक समय यह था कि यहां एमजीएच में भर्ती ३० में से २८ पॉजिटिव लोग ठीक हो कर घर जा चुके थे। सर्दी जुकाम व खांसी की बात है तो ये सामान्य बीमारी है, लोगों को ये लक्षण नजर आते ही पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और तुरन्त चिकित्सक की राय भी लेनी चाहिए । उक्त बीमारियों को कोरोना से जोड़ते हुए आशंकित नहीं होना चाहिए। लोगों को सतर्क एवं सावचेत रहना होगा और साथ में मानसिक रूप के साथ आत्मबल मजबूत करना होगा।

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