सरकार ऐसे संस्थाओं, कंपनियों और विभागों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां कफी ज्यादा मात्रा में ई-वेस्ट पैदा हो रहा है। इसमें केंद्र व राज्य सरकार के विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, बहुराष्ट्रीय संगठन, सार्वजनिक, भागीदारी, प्राइवेट कंपनी, शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल शामिल हैं। यहां से एक साथ बड़ी मात्रा में ई-वेस्ट मिल सकता है।
कबाड़ी या स्थानीय स्तर पर ई-वेस्ट ले जाने वाले बिना किसी ठोस तरीके से और बिना सुरक्षा उपाय अपनाए इसका निस्तारण करते हैं। कलपुर्जे एकत्रित करते हैं और अलग-अलग करते हैं। इससे पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है साथ ही निस्तारण करने वाले व्यक्तियों को भी स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए ई-वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण हो। प्रदेश में लाखों टन ई-वेस्ट पैदा हो रहा है। उस क्षमता का ई-वेस्ट रिसाइकल करने की क्षमता नहीं है।
शहर व जिले में ई-वेस्ट को लेकर पहले अभियान चलाया था।लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अस्पतालों व बड़े उद्योगों को इसके बारे में जानकारी दी गई है। अब कबड़ी किसी भी तरह का ई-वेस्ट नहीं खरीद सकेगा। इसके लिए सरकार ने डीलर नियुक्त कर दिए है। वही समय-समय पर आकर ई-वेस्ट एकत्रित करेगा।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल विभाग