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भीलवाड़ा

आसमान तले सोने को मजबूर लोग

हाड़ कंपाने वाली सर्दी। उस पर खुले आसमान तले सोने की मजबूरी। यह हालात है शहर में फुटपाथ पर सोने वालों के। सर्दी के कारण घर में रजाई-बिस्तर में भी लोगों के हाड़ कांप रहे हैं जबकि यह लोग सर्द रात में सड़कों के किनारे सो रहे हैं। कहने को नगर परिषद ने रैन बसेरे शुरू करवाए लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में इसके बारे में लोगों को पता नहीं है।

भीलवाड़ाDec 11, 2019 / 12:10 pm

Akash Mathur

People forced to sleep under the sky

People forced to sleep under the sky

भीलवाड़ा. हाड़ कंपाने वाली सर्दी। उस पर खुले आसमान तले सोने की मजबूरी। यह हालात है शहर में फुटपाथ पर सोने वालों के। सर्दी के कारण घर में रजाई-बिस्तर में भी लोगों के हाड़ कांप रहे हैं जबकि यह लोग सर्द रात में सड़कों के किनारे सो रहे हैं। कहने को नगर परिषद ने रैन बसेरे शुरू करवाए लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में इसके बारे में लोगों को पता नहीं है। राजस्थान पत्रिका टीम ने सोमवार आधी रात बाद सड़कों का दौरा किया तो कुछ इसी तरह के हालात देखने को मिले। यह लोग सर्दी से ही नहीं जूझ रहे बल्कि वाहनों की आवाजाही के कारण जिंदगी को भी दांव पर लगा रहे। इनकी सुध लेने के लिए स्वयंसेवी संगठन भी आगे नहीं आए हैं।
सर्किट हाउस: एक तरफ वाहन, दूसरी तरफ नींद
अजमेर रोड पर सर्किट हाउस की दीवार से सटे हुए कुछ लोग डेरा डालकर सड़क पर सो रहे थे। यह सर्दी के कारण ठिठुरकर गठरी बने हुए थे। यहीं हाल सर्किट हाउस के सामने का था। फुटपाथ पर कतारबद्ध सोए लोगों की जिंदगी भी दांव पर थी। निकट ही रातभर कार, ट्रक और अन्य वाहन गुजर रहे थे। काशीपुरी रोड पर पटरी से सटी सड़क पर परिवार सोया मिला।
रेलवे स्टेशन: नहीं बना रैन बसेरा
रेलवे स्टेशन के बाहर और अंदर कुछ इसी तरह के हालात थे। ट्रेनों के इंतजार में प्लेटफार्म से पहले परिसर ठसाठस भरा था। यहां ठण्डी जमीन पर भी लोग सो रहे थे। वहीं प्लेटफार्म के बाहर भी एेसा नजारा था। नगर परिषद की ओर से रेलवे स्टेशन पर भी रैन बसेरा बनाया जाता है लेकिन इस बार यहां नहीं बनाने से लोग जमीन पर सो रहे हैं।
पुलिस कंट्रोल रू म के बाहर: पेट की आग पड़ रही भारी
सर्दी से भारी पेट की आग थी। कंट्रोल रूम के बाहर और सामने कई रिक्शा चालक शीतर लहर के बीच दुबके हुए मिले। टे्रन से आ रहे यात्रियों को कड़ाके की सर्दी में घर पहुंचाने के लिए रिक्शा चालक सोए मिले। टे्रन के समय में आधी रात को जागकर यह लोग पेट की आग बुझाने के लिए सर्दी को भी सहन करने को मजबूर थे।
बस स्टैण्ड: धूजती काया, बेबस यात्री
रोडवेज बस स्टैण्ड पर भी रैन बसेरा नहीं बना। यहां भी यात्री बस के इंतजार में कतारबद्ध सोए मिले। एक तरफ कड़ाके की सर्दी तो दूसरी ठण्डी जमीन। इसके बाद भी गलती जमीन पर सोने की मजबूरी। रोडवेज प्रशासन ने भी सर्दी से बचाव के लिए यात्रियों के लिए कोई प्रबंध नहीं कर रखा है।
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