पहला मामला भीलवाड़ा जिले से है। जिले में महिला उत्पीडऩ न्यायालय ने धर्मस्थल से ले जाकर बीमार महिला को ठीक करने का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोप में पालरा निवासी राजू बलाई को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई। इसी के साथ दस हजार रुपए का जुर्माना देने के आदेश दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार आरोपी युवक ने बीमार महिला को ठीक करने का झांसा दिया था और उसे जंगल में ले जाकर दुष्कर्म कर दिया। इस पर महिला और उसके परिजनों ने मामला दर्ज करवाया। जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई।
दूसरा मामला कोटा जिले है। जहां कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने पर आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। पोक्सो न्यायालय क्रम संख्या 4 ने बलात्कार के करीब 2 वर्ष पुराने मामले में आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास व 61, 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
विशिष्ट लोक अभियोजक वीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि पीडि़ता के पिता ने 7 जून 2017 को कनवास थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि रामदयाल (24) 27 मई 2017 को शाम करीब 7-8 बजे उसकी 16 वर्षीय पुत्री को बहला फुसलाकर भगा ले गया। आरोपी किशोरी को उसकी बहन के घर झालावाड़ के खंडिया क्षेत्र ले गया, जहां उससे बलात्कार किया। पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 11 सितंबर 2017 को न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया। न्यायालय ने इस मामले में दोनों पक्षों के गवाह और बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया।
लोक अभियोजक की ओर से 20 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। इस मामले में पोक्सो विशिष्ट न्यायालय के पीठासीन अधिकारी ने आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास व 61,500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। बलात्कार की रोकथाम का संदेश आवश्यक न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा कि महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार के अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में यह कृत्य असहाय महिलाओं की आन्तरिक भावना को अपमानित करता है। इसलिए निश्चित रूप से बलात्कार की रोकथाम के लिए यह संदेश आवश्यक है।