हाईकोर्ट ने 30 हजार सफाई कर्मचारी भर्ती के दो चरण में से पहले चरण में 20 हजार पदों पर वाल्मिकी व हैला समाज सहित सामान्य श्रेणी को और दूसरे चरण में दस हजार पदों पर अन्य श्रेणी की भर्ती की शर्त को असंवैधानिक घोषित कर रद्ध कर दिया है। न्यायाधीश मनीष भंडारी ने यह आदेश रुप सिंह गुर्जर व अन्य सहित तीन अन्य याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए। कोर्ट के आदेश से भर्ती प्रक्रिया पर 29 अक्टूबर, 2014 से चल रही रोक हट गई है। कोर्ट ने प्रत्येक याचिकाकर्ता को दो-दो हजार रुपए हर्जाने के देने और भर्ती प्रक्रिया छह महीने में पूरी करने को कहा है।कोर्ट ने बिना किसी विभाजन आरक्षण नीति के तहत के दो चरणों में भर्ती करने को कहा है।उक्त शर्त के कारण निरस्त होने वाले आवेदनों पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि वाल्मिकी और हेला समाज को प्राथमिकता केवल सफाई कार्य में उनके अनुभव के कारण ही प्राथमिकता दी जाती है और यह किसी प्रकार का आरक्षण नहीं है।एडवोकेट आर.के. गौतम ने बताया कि राज्य सरकार ने 2012 में 11376 पद सफाई कर्मचारियों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। एक साल बाद इन पदों को बढ़ाकर 30 हजार कर दिया था । सरकार ने भर्ती दो चरणों में करने की घोषणा के साथ ही पहले चरण के 20 हजार पदों पर सामान्य के साथ वाल्मिकी व हेला समाज के सदस्यों को प्राथमिकता देने तथा दूसरे चरण में शेष 10 हजार पद पर अन्य श्रेणियों की भर्ती करने को कहा। इस शर्त को चुनौती देते हुए कहा कि यह असंवैधानिक व नियमों के विपरीत है। भर्ती एक साथ ही और राज्य सरकार की मौजूदा आरक्षण नीति के तहत ही हो सकती है। लेकिन उक्त शर्त के कारण आरक्षण नीति का उल्लंघन हो रहा है।