ग्रामीण अपने मकानों की छत पर सोलर लगवा कर महंगी बिजली से निजात पा रहे हैं। इसके चलते सोलर सिस्टम की मांग भी बढ़ रही है। ग्रामीण अपने निजी खर्च पर सोलर प्लांट लगवा रहे हंै। सौर ऊर्जा को ऊर्जा का सबसे उपयुक्त स्रोत माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इससे ऊर्जा पैदा करने में कोई प्रदूषण नहीं होता। सोलर सिस्टम पूरी तरह सूर्य की रोशनी पर आधारित है। इससे ऊर्जा बनाने में न तो कोयले का इस्तेमाल करना पड़ता है और न ही पेट्रोल-डीजल की जरूरत पड़ती है। यह धूप के जरिए हमें ऊर्जा देता है।
कटौती के झंझट से मुक्ति
शहर सहित जिले के बीगोद, बरूंदनी, जोजवा , महुआ, बागोर सहित कई अन्य गांवों में किसान व ग्रामीण सोलर सिस्टम अपनाकर बिजली मामले में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि एक बार सोलर सिस्टम लगने के बाद हमेशा बिजली कटौती के झंझट से मुक्ति मिल जाती है। कई किसान सोलर सिस्टम से बिजली उत्पादन कर सिंचाई कर रहे हैं।
फाइलों की कछुआ चाल
सरकार केवल कृषि उपभोग पर उद्यान विभाग की सोलर प्लेट लगाने पर सब्सिडी दे रही है। इसमें 30 फीसदी राशि केंद्र व 30 फीसदी राशि राज्य सरकार तथा 40 फीसदी राशि खुद किसान को वहन करनी पड़ी है। वर्ष 2018-19 में जिन किसानों ने कृषि के लिए इस योजना में आवेदन किए थे उन्हें अब जाकर स्वीकृति मिली है। किसानों का कहना है कि सरकार इस तरफ ध्यान दे तो आमजन को इसका काफी फायदा मिल सकता है।
घरेलू उपभोग के लिए शुरू सब्सिडी
पहले की अपेक्षा लोग अब सोलर के प्रति लोग अब जागरूक हुए। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लोग सोलर लगवा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार पहले घरेलू उपभोग के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर सब्सिडी देती थी। इसे फिलहाल बंद कर रखा है। सरकार घरेलू उपभोग के लिए सब्सिडी शुरू कर दे तो काफी लोगों को इसका लाभ मिल सकता है।
तेजी से लग रहे सोलर प्लांट
सोलर प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर बनवारी शर्मा के अनुसार आए दिन बिजली संकट को देखते हुएकुछ समय से ग्रामीण इलाकों में बहुत तेजी से सोलर प्लांट लग रहे हैं। किसान अब सोलर प्लांट लगाकर आत्मनिर्भर हो रहे हैं। कई लोगों ने बिना सब्सिडी के ही सोलर प्लांट लगवाए हैं।