scriptमेनाल झरने के शिवालय की शिल्पकला भी बेजोड़ | The craftsmanship of Menal Waterfall's shivalay is also unmatched. | Patrika News
भीलवाड़ा

मेनाल झरने के शिवालय की शिल्पकला भी बेजोड़

The craftsmanship of Menal Waterfall’s shivalay is also unmatched चित्तौडग़ढ़-कोटा राष्ट्रीय राज मार्ग पर लाडपुरा कस्बे से सात किलोमीटर दूर देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं मेनाल जलप्रपात का शिवालय शिल्पकला एवं आस्था का अटूट केंद्र है। जिसे महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है । यहां वर्ष भर यूं तो देश एवं विदेश के पर्यटकों की भीड़ रहती है, लेकिन यहां शिवालय पर सावन मास में भक्तों भीड़ रहती है और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

भीलवाड़ाAug 04, 2021 / 10:57 am

Narendra Kumar Verma

The craftsmanship of Menal Waterfall's shivalay is also unmatched.

The craftsmanship of Menal Waterfall’s shivalay is also unmatched.


भीलवाड़ा। चित्तौडग़ढ़-कोटा राष्ट्रीय राज मार्ग पर लाडपुरा कस्बे से सात किलोमीटर दूर देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं मेनाल जलप्रपात का शिवालय शिल्पकला एवं आस्था का अटूट केंद्र है। जिसे महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है । यहां वर्ष भर यूं तो देश एवं विदेश के पर्यटकों की भीड़ रहती है, लेकिन यहां शिवालय पर सावन मास में भक्तों भीड़ रहती है और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
जानकार बताते है कि मेनाल में प्रसिद्ध शिव मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी ईस्वी में राजा सोमेश्वर व उनकी पत्नी रानी सुहावदेवी ने कराया था। मेनाल शिव मंदिर का निर्माण पत्थर से ही हुआ है, जिसमें कलात्मक नक्काशी से उकेरे चित्र एवं पौराणिक कथाएं पर्यटकों को लुभाती है। प्रवेश द्वार पर नंदी की एक मूर्ति है । यहां की बेजोड़ कलाकृति एवं शिल्पकला, डेढ़ सौ फीट उंचाई से गिरने वाला जल प्रपात व प्राकृतिक सौंदर्य हरियाली से आच्छादित स्थान के कारण महानालेश्वर मंदिर ज्यादा प्रसिद्ध है। महानाल मठ शैव संप्रदाय का स्थान रहा है।
यहां मंदिर की दीवार पर विशेष कलाकृति व मूर्तियां उकेरी हुई हैं। शिव मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे शिव मंदिर बने हुए हैं, जिसके कारण यह मंदिर खुजराहो मंदिर जैसे लगता है। वर्षो बाद भी मंदिर आकर्षक बना हुआ है।

Home / Bhilwara / मेनाल झरने के शिवालय की शिल्पकला भी बेजोड़

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो