The government increased the length, but reduced the points प्रदेश की जनसंख्या सर्वे के अनुसार कुल आबादी में ढाई से तीन प्रतिशत निशक्तजन होने चाहिए, लेकिन इनकी संख्या सिर्फ चार लाख ही आ रही थी। ऐसे में सरकार ने कुछ साल पहले निशक्तजन श्रेणी में तीन गुना इजाफा किया। पहले निशक्तजन को सात श्रेणियों में बांटा गया था, लेकिन अब निशक्तजन की श्रेणियों की संख्या बढाकर 21 कर दी गई है। पहले 40 फीसदी या उससे अधिक विकलांगता को ही निशक्तजन Dwarves श्रेणी में माना जाता था। नई व्यवस्था के तहत कोई भी व्यक्ति जो खुद को निशक्तजन की श्रेणी में चयन योग्य समझता है तो वह पोर्टल पर अपना पंजीयन करवा सकता है। पोर्टल पर पंजीयन के बाद उसके प्रमाणीकरण की पूरी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई थी। इस व्यवस्था के चलते बड़ी संख्या में लोगों ने खुद को बौना प्रमाणित करने के लिए आवेदन किया, लेकिन अधिकांश जिलों में गिनती के लोगों का ही पंजीयन हो पाया है।
लम्बाई अधिक तो नम्बर कम
The government increased the length, but reduced the points बौनों Dwarves के प्रमाणीकरण कम होने के पीछे सबसे बड़ा कारण लंबाई के आधार पर उन्हें दिए जाने वाले अंकों का प्रतिशत है। यदि किसी की लंबाई २ फीट ९ इंच है तो उसे शत प्रतिशत अंक मिलते है, लेकिन जैसे-जैसे लम्बाई बढ़ती जाती है, अंक के प्रतिशत कम हो जाते है। तीन फीट लम्बाई पर अंक ८८ प्रतिशत और ४ फीट लम्बाई पर अंक ४० फीट ही रह जाता है। 4 फीट दस इंच की लम्बाई पर अंक शून्य होने से लोगों को बौनेपन का लाभ ही नहीं मिल पा रहा। ऐसे में सरकार की ओर से बौनों को लंबाई में दी गई शिथिलता सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है। इसका फायदा बौने व्यक्तियों को नहीं मिल पा रहा है।
निशक्तता की ये हैं श्रेणियां
निशक्तता की श्रेणियां 7 से बढ़ाकर 21 की गई है। पहले नेत्रहीन, अल्पदृष्टि, Dwarves श्रवण बाधित, चलन निशक्तता, मानसिक रोग, विमंदित और कुष्ठ रोग मुक्त को ही निशक्त माना जाता था, लेकिन अब मानसिक मंदता में समझने, बोलने व अभिव्यक्ति में कठिनाई, आटिज्म में किसी कार्य पर ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई, आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाने, गुमसुम रहने, सेरेब्रल पाल्सी में पैरों में जकडऩ, चलने में कठिनाई, हाथ से काम करने में कठिनाई, मानसिक रोगी, श्रवण बाधित, मूक नि:शक्तता, दृष्टि बाधित, अल्प दृष्टि, चलन निशक्तता, कुष्ठ रोग से मुक्त, बौनापन में व्यक्ति का कद 4.10 फीट यानी 147 सेंटीमीटर या इससे कम होना, तेजाब हमला पीडि़त, मांसपेशियों की कमजोरी, स्पेसिफिक लर्निंंग डिसएबिलिटी, बौद्धिक नि:शक्तता, मल्टीपल स्कलेरोसिस यानी दिमाग और रीढ़ के समन्वय में परेशानी, पार्किसंस रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, सिकल सैल डिजीज तथा बहुनिशक्तता इसमें शामिल है।
बना रहे प्रमाण पत्र
बौने लोगों का प्रमाण पत्र किसी भी ब्लॉक में बनवाया जा सकता है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति ई-मित्र से आवेदन कर सकते है। यह प्रमाण पत्र लम्बाई के आधार पर बनाए जाते है। अब तो चिरंजीवी योजना के तहत लगाए जा रहे शिविरों में भी कोई आवेदन करता है तो उसके प्रमाण पत्र जारी कर रहे है। हर मंगलवार को कमेटी बैठक भी स्क्रीनिंग करने प्रमाण पत्र जारी कर रहे है।
डॉ. मुस्ताक खान, सीएमएचओ भीलवाड़ा
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इस तरह मिलते है अंक
लम्बाई प्रतिशत
2 फीट 9 इंच 100
3 फीट 88
3 फीट 5 इंच 68
3 फीट 10 इंच 48
4 फीट 40
4 फीट 3 इंच 28
4 फीट 8 इंच 8
4 फीट 9 इंच 4
4 फीट 10 इंच 0