न्यायाधीश मेहता रविवार को आटूण रोड स्थित विट्टी इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित किशोर न्याय प्रणाली विषयक जिला स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित सेमिनार में न्यायाधीश ने कहा कि अखबार में बाल विवाह के दौरान मासूम बच्ची को गोद में लेकर फेरे दिलाते फोटो देखे। राजस्थान विधिक सेवा समिति जोधपुर ने मामले को गम्भीर माना और तत्काल प्रसंज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए। न्यायाधीश मेहता ने कहा, अक्षय तृतीया के दिन ही बाल विवाह के लिए तय हैं, यह जरूरी नहीं है। उसी दिन ही पुलिस व प्रशासन सावचेत होता है। बाकी दिनों का पता नहीं है। इसी का परिजनों ने फायदा उठाया। उन्होंने सेमिनार में मौजूद पुलिस अधिकारियों से सवाल किया, ‘गोद में लेकर बालिका के फेरे करवा दिए, लेकिन पुलिस अधिकारी कहां थे।Ó सेमिनार में भीलवाड़ा समेत चित्तौडग़ढ़ व राजसमंद जिले न्यायिक अधिकारी, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही बाल कल्याण समिति व यूनिसेफ के पदाधिकारी मौजूद थे।
पत्रिका उने उजागर किया था मामला उल्लेखनीय है कि बनेड़ा उपखंड के खारी खेड़ा व खेड़लिया गांव में १३ मई की रात दो परिवारों में छह नाबालिग जोड़ों के बाल विवाह हुए थे। पुलिस व प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। राजस्थान पत्रिका ने ‘नींद में लिख दिया लाडो की जिंदगी का काला अध्याय’ समाचार प्रकाशित कर इस मामले को उजागर किया। इसके बाद हरकत में आए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस मामले की जांच जारी है।