३५ साल बाद बनी स्थिति परियोजना अधिकारियों का कहना है राणाप्रताप सागर और गांधी सागर के सभी गेट खोलने से चम्बल नदी उफान पर है। परियोजना का ग्राफ तैयार करते समय ३५ साल की रिकॉर्ड लिया गया था। उसके मंथन के बाद भैसरोडग़ढ़ में पम्प हाउस दो मीटर ऊपर बनाया लेकिन दोनों बांधों में पानी का लेवल काफी ऊंचा चल रहा है। इससे भैसरोडग़ढ़ में पम्प हाउस चालू करना मुनासिब नहीं हो पा रहा। ३५ साल बाद स्थिति बनी है कि भैसरोडग़ढ़ से गुजर रही चम्बल नदी लेवल से काफी ऊंची चल रही है। दोनों बांधों के सभी गेट अभी खोल रखे हैं।
सप्लाई तीन से चार दिन पहुंची, लोगों को आदत नहीं परियोजना आने के बाद शहर के अधिकांश इलाकों में सप्लाई रोजाना पर आ गई। कई इलाके में पांतरे पानी दिया जा रहा है। मौजूदा स्थिति में जलापूर्ति तीन से चार दिन तक पहुंच गई है। लोग चम्बल का पानी आने के बाद जलसंकट को भूल गए थे।
३८ जोन, जिनको रहना होगा प्यासा चम्बल परियोजना आने के बाद शहर में ३८ जोन एेसे है जहां मेजा बांध और ककरोलिया घाटी का पानी नहीं पहुंचाया जा सकता। इसका कारण चम्बल आने के बाद वहां का सिस्टम बंद कर दिया गया। पुर और सांगानेर इसका बड़ा उदाहरण है। एेसे में वहां लोगों के लिए बूंद-बूंद के लिए मशक्कत हो रही है।
आज यहां आएगा पानी
पुराना बापूनगर, मालोला रोड, गायत्रीनगर, सपना वाटिका, मथुरा वाली गली, हाजी मंजिल, चपरासी कॉलोनी, नया बापूनगर, बीलिया मेन रोड, कृष्णा कॉलोनी, आवरी माता मदिर के पीछे, माणिक्यनगर, गुलमंडी, धानमंडी, जूनावास, भदादा मोहल्ला व पुराना भीलवाड़ा इलाके में मंगलवार को जलापूर्ति की जाएगी।