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भीलवाड़ा

inside story of Bhilwara यह है भीलवाड़ा की अंदर की बात

This is the inside story of Bhilwara मंत्री ना बड़ा नेता, ना ही आला अफसर, बावजूद इसके सर्किट हाउस में अक्सर जनता दरबार लगता है। लोग आते हैं और दुखड़े भी सुनाते हैं। लेकिन कही भाई साहेब नाराज न हो जाए, इसलिए संबंधित विभाग व आला अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं।एप पर काम करना ही पड़ेगा

भीलवाड़ाJun 06, 2022 / 12:15 pm

Narendra Kumar Verma

यह है भीलवाड़ा की अंदर की बात

यह है भीलवाड़ा की अंदर की बात

नरेन्द्र वर्मा. मंत्री ना बड़ा नेता, ना ही आला अफसर, बावजूद इसके सर्किट हाउस में अक्सर जनता दरबार लगता है। लोग आते हैं और दुखड़े भी सुनाते हैं। कई तो यहां सिर्फ जनता दरबार के हाकम के स्वागत सत्कार के लिए ही पहुंचते हैं। वीआईपी व अति वीआईपी की सूची में उनका नाम नहीं होने के बावजूद उनका सिक्का क्षेत्र के साथ यहां भी चलता है, लेकिन कही भाई साहेब नाराज न हो जाए, इसलिए संबंधित विभाग व आला अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं।
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मैडम बोली, काम तो करना ही होगा

जिले के एएचवी-एएनएम संघ ऑफ राजस्थान को मोबाइल एप पर सरकारी काम करना रास नहीं आ रहा है। उन्होंने बकायदा अपनी पीड़ा एसीडीएम मैडम तक दर्ज करा दी, लेकिन मैडम का जवाब कडक ही रहा। दो टूक कहा कि जमाना मोबाइल व नेट का है, काम करना है तो यह सीखना ही होगा। ऐसे में विरोध दर्ज कराने आई महिला कर्मचारियों ने चुपचुपा खिसकना ही बेहतर समझा। इधर, एमजीएच के कर्मी जून माह की पगार नहीं मिलने से अधिकारियों को पीड़ा बयां कर रहे हैं, लेकिन यहां अधिकारी चुप है।
स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली
यूआईटी को अब राजनीति का अखाड़ा कहा जाने लगा है। यहां जनता तो दूर अधिकारी व कर्मचारी ही एक दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं। गत माह एसई ने डांवाडोल होती स्थिति सुधारने व नई व्यवस्था की कोशिश की, लेकिन उन्हें टिकने ही नहीं दिया गया। जयपुर का टिकट कटवा दिया। कही वापसी ना हो जाए, इसलिए रूडिप के स्थानीय दरवाजे ही बंद करवा दिए। इन्ही एसई से पहले आवासन मण्डल से आए अधिकारी का भी हाल कम बुरा नहीं रहा। यह अधिकारी सरकारी व्यवस्था से इतने त्रस्त हुए कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति तक मांग ली। सरकार ने भी प्रस्ताव मंजूर कर लिया, हालांकि एक अगस्त तक उन्हें पद पर रहने को कहा है। This is the inside story of Bhilwara
कही भी कुछ नहीं मिला
राज्यसभा चुनाव में राजस्थान को टिकट मिले। इसके लिए प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता भी डूंगरपुर के एक नेता के पक्ष में लामबृद्ध हुए। इसमें जिले के भी कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी अपना समर्थन दिया। जयपुर से लेकर दिल्ली तक गए, लेकिन यहां प्रदेश व वरिष्ठ नेताओं की दाल नहीं गल सकी। इधर, बड़े चुनाव के फेर में शहर के वार्ड संख्या 42 के उपचुनाव को ही साधारण समझ कर भूला देने की भूल संगठन के बड़े नेता कर बैठे। शहर की पक्की सीट हाथ से फिसल गई। वार्ड के नेताओं को यह मलाल जरूर रहा कि बड़े नेता यहां जाजम जमा लेते तो कब्जा बरकरार रहता। This is the inside story of Bhilwara

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