यूआईटी को अब राजनीति का अखाड़ा कहा जाने लगा है। यहां जनता तो दूर अधिकारी व कर्मचारी ही एक दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं। गत माह एसई ने डांवाडोल होती स्थिति सुधारने व नई व्यवस्था की कोशिश की, लेकिन उन्हें टिकने ही नहीं दिया गया। जयपुर का टिकट कटवा दिया। कही वापसी ना हो जाए, इसलिए रूडिप के स्थानीय दरवाजे ही बंद करवा दिए। इन्ही एसई से पहले आवासन मण्डल से आए अधिकारी का भी हाल कम बुरा नहीं रहा। यह अधिकारी सरकारी व्यवस्था से इतने त्रस्त हुए कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति तक मांग ली। सरकार ने भी प्रस्ताव मंजूर कर लिया, हालांकि एक अगस्त तक उन्हें पद पर रहने को कहा है। This is the inside story of Bhilwara
राज्यसभा चुनाव में राजस्थान को टिकट मिले। इसके लिए प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता भी डूंगरपुर के एक नेता के पक्ष में लामबृद्ध हुए। इसमें जिले के भी कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी अपना समर्थन दिया। जयपुर से लेकर दिल्ली तक गए, लेकिन यहां प्रदेश व वरिष्ठ नेताओं की दाल नहीं गल सकी। इधर, बड़े चुनाव के फेर में शहर के वार्ड संख्या 42 के उपचुनाव को ही साधारण समझ कर भूला देने की भूल संगठन के बड़े नेता कर बैठे। शहर की पक्की सीट हाथ से फिसल गई। वार्ड के नेताओं को यह मलाल जरूर रहा कि बड़े नेता यहां जाजम जमा लेते तो कब्जा बरकरार रहता। This is the inside story of Bhilwara