न्यास अधिकारी पार्षदों के साथ कर रहे सौतेला व्यवहार
विधायक अवस्थी बोले-मेरे छोटे-छोटे काम में ही लगा देते हैं 6 से 8 माहनगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव मीणा के सामने भाजपा पार्षदों ने रखी पीड़ा
न्यास अधिकारी पार्षदों के साथ कर रहे सौतेला व्यवहार
भीलवाड़ा।
नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने बुधवार को नगर परिषद सभागार में धारा ६९ ए के तहत पट्टे जारी करने तथा उनके नियमों को लेकर अधिकारियों व पार्षदों की बैठक ली। बैठक में मीणा नियमों की जानकारी देने लगे, लेकिन नगर विकास न्यास का मामला आते ही यह मामला तो गौण हो गया। सभी पार्षदों ने नगर विकास न्यास के अधिकारियों के रवैये व व्यवहार को लेकर खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी। विजय लढ्ढा ने तो यहां तक कह दिया कि आप जब हमारी बात इतनी शालीनता से सुन रहे हैं, तो न्यास अधिकारी तो आपसे भी नीचे हैं, लेकिन वे अपने को सबसे बड़ा अधिकारी मानकर पार्षदों की सुनते तक नहीं हैं। कोई भी काम लेकर जाएं तो वे नगर परिषद का हवाला देकर रवाना कर देते हैं।
मधु शर्मा ने कहा कि न्यास का नाम बदलकर अब तो ग्रामीण विकास न्यास रख देना चाहिए। क्योंकि शहर में कई पार्षद न्यास की कॉलोनी के हैं, लेकिन कोई काम नहीं होता है। न्यास के अधिकारियों को भी ठेकेदार चला रहे हैं। रेखापुरी ने कहा कि आरसी व्यास क्षेत्र नगर विकास न्यास में आता है। वहां की सड़कों की हालात खराब है। थोड़ा बहुत काम हुआ, वह भी परिषद ने करवाया है। रेखा पुरी ने कलक्टर शिवप्रसाद एम नकाते को क्षेत्र का दौरा करने का आग्रह किया। अवस्थी ने कहा कि न्यास अधिकारियों को हिदायत दें की वे पार्षदों से अच्छा व्यवहार करें।
कलक्टर ने कहा ४० करोड़ के कराएंगे काम
पार्षदों की समस्या सुनने के बाद कलक्टर नकाते ने कहा कि न्यास शहर में करीब ४० करोड़ रुपए का विकास कार्य करवाएगा। इसके लिए पार्षद अपनी आवश्यकता वाले १०-१० काम प्राथमिकता के साथ सभापति को लिखकर दें, वे मुझे काम बता देंगे। वह काम पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। यह राशि पेरा-फेरी के अलावा खर्च होगी।
६२ किलोमीटर सड़क का मुद्दा फिर आया
आरयूआईडीपी ने वर्ष २०१७ से लेकर अब तक ६२ किलोमीटर सड़कें तोड़ी हैं। इन सड़कों को पैचवर्क करके सुधारा तो गया है, लेकिन उनको फिर से बनाने की जिम्मेदारी आरयूआईडीपी को दी गई है। यह निर्णय सीएलसी की बैठक में किया गया था। अन्य सड़कों को न्यास व परिषद पूरा करेगी।
मेरे काम भी नहीं करते अधिकारी
विधायक वि_लशंकर अवस्थी ने कहा कि मेरे काम छोटे-छोटे ५-५ लाख के होते र्हं। वह काम भी ६ से ८ माह में नहीं हो पाते हैं। ऐसे में कार्यकारी एजेन्सी नगर परिषद को बनाते हैं तो एनओसी देने में ही ६-६ माह लगा देते हैं। अवस्थी ने आरोप लगाया कि उन्हें इस काम में कुछ मिलता नहीं है, इसलिए देरी से काम करते हैं। पार्षद मुकेश शर्मा ने कहा कि न्यास अधिकारियों को तो करोड़ों के काम चाहिए। न्यास शहर से पैसा कमाता है और पेरा-फेरी यानी दूसरी विधानसभा में लगाते हैं, यह ठीक नहीं है। पार्षद व शहर परेशान है। न्यास के पास तो परिषद से अधिक बजट है।
यह झगड़ा चलता रहता है
मीणा ने कहा कि वे सन २००० में जोधपुर नगर निगम के सीईओ थे तो यह झगड़ा न्यास व निगम के बीच चलता रहता है। इसी दौरान कलक्टर नकाते ने कहा कि मेरा भी झगड़ा कोटा में चलता था। नकाते भी कोटा नगर निगम में सीईओ रह चुके हैं। इस पर सभापति पाठक ने कहा कि यह पीड़ा आप दोनों अच्छी तरह से समझ सकते हैं। उनका समाधान होना चाहिए।
न्यास ९१ ए करके पत्रावली परिषद भेज देते हैं
पाठक ने कहा कि नगर परिषद क्षेत्र है लेकिन ९१ ए का अधिकार परिषद के पास नहीं है। लेकिन न्यास उस जमीन का ९१ ए करके पत्रावलि नगर परिषद को भेज देती है। लेकिन सब काम तो न्यास करती है। फिर कहा जाता है कि परिषद क्षेत्र में अवैध निर्माण हो रहा है। जबकि परिषद के पास तो नक्शा भी नहीं होता है। जो कॉलोनी परिषद को ट्रांसफर हो चुकी है वह सभी जमीन भी परिषद को मिले। परिषद के ११ राजस्व ग्राम हैं। उनकी संघन आबादी घोषित करनी होगी। मास्टर प्लान में सड़क ६० फीट है, लेकिन मौके की स्थिति अलग है। सघन बस्ती है, लेकिन वहां की सड़क की स्थिति भिन्न है। मास्टर प्लान में कॉमर्शियल है, लेकिन मौके पर आवासीय है तो उन्हें किसका पट्टा दें।
इन कॉलोनी की मांगी परिसंपत्तियां व भूखंड
पाठक ने न्यास से बंसतविहार, संजय कॉलोनी, बापूनगर, आजादनगर, आरके कॉलोनी, धांधोलाई क्षेत्र, शास्त्रीनगर, भोपालपुरा, वैभवनगर, किशनावतों की खेड़ी, बिलिया, जाटो का खेड़ा, मोखमपुरा के भूखंड व परिसंपतियां मांगी हैं।
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