सिविल अस्पताल में जन्मप्रमाण पत्र बनवाने की जिम्मेदारी कंप्यूटर ऑपरेटर रामस्वरूप नरवरिया को सांैपी गई है। गत दिवस पत्रिका टीम के सदस्य कार्यालय पहुंचे तो ऑपरेटर नरवरिया से सुनीता नाम की एक महिला ने अपने बेटे का जन्मप्रमाण पत्र मंागा तो उसकी ओर से 100 रुपए की मांग की गई। ये पैसे ऑपरेटर ने खुद तो नहीं लिए लेकिन पास में खड़े एक अन्य प्राइवेट युवक को देने का इशारा कर दिया। महिला ने जैसे ही अपने पर्स से 100 का नोट निकालकर दिया वैसे ही उक्त युवक ने पैसे पेंट की जेब मे ंरख लिए दो मिनट के बाद ही ऑपरेटर ने जन्मप्रमाण पत्र निकालकर महिला को थमा दिया। अकेली सुनीता से ही नहीं बल्कि हर जन्मप्रमाण पत्र बनवाने वाले से पैसे लिए जा रहे थे।जो पैसे देने मे आना कानी करते हैं उनको महीनों तक अटका कर रखा जाता है।
यहां बता दें कि कंप्यूटर ऑपरेटर को पहले ही रिश्वतखोरी के मामले में दोषी पाया जा चुका है लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की गई हालंाकि अधिकारी स्टिंग सामने आने के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं। रिश्वतखोर ऑपरेटर ने लोगों से पैसे लेने के लिए काथा निवासी बेरोजगार सतीश श्रीवास को प्राइवेट तौर पर रख रखा है।
बताया जाता है कि शाम को रिश्वत के रूप में जो भी पैसे इकट्ठे होते हैं उनमें एक निश्चित राशि सतीश को दे दी जाती थी। सतीश करीब एक माह से ऑपरेटर के साथ काम कर रहा है।
रिसीव नहीं हुआ कॉल रिश्वतखोर रामस्वरूप नरवरिया के मोबाइल नं.9009024002 पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो पहले तो काल रिसीव ही नहीं हुआ। दूसरी बार कॉल करने पर मोबाइल नंबर सेवा में ही नहीं है की ध्वनि आ रही थी।
-कंप्यूटर ऑपरेटर को पहले भी दोषी पाया गया था। जिसकी जांच रिपोर्ट तत्कालीन लहार एसडीएम व सीएमएचओ को भेज दी थी। जन्म प्रमाणपत्र का कार्य उक्त ऑपरेटर से छीन लिया गया है लेकिन इसके पास कुछ पुराने जन्म प्रमाणपत्र रखे हैं। 24 जुलाई से जन्म प्रमाणपत्र का कार्य अस्पताल में पदस्थ कम्पाउंडर अशोक राठौर को दिया जा चुका है। स्टिंग का जो वीडियो सामने आया है उसकी सीडी डीओ लेटर के साथ अधिकारियों को भेज रहे हैं।
डा.हर्षवर्धन गुप्ता सीबीएमओ सिविल अस्पताल लहार