गौरतलब है कि आलमपुर कस्बे में लॉकडाउन से पूर्व विभिन्न स्थानों के लिए &0 से अधिक बसों का परिचालन हुआ करता था, लेकिन बीते तीन महीने से कस्बे में बसों का परिचालन नहीं हुआ है। अब भी बस परिवहन शुरू नहीं किए जाने के बाद लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। कस्बे के निवासियों को हर छोटी बड़ी जरूरतों के लिए भिण्ड या ग्वालियर जाना पड़ता है। वहीं जब स्वास्थ्य को लेकर कोई समस्या आती है तो आलमपुर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने की वजह से दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, लेकिन इन दिनों बसों का संचालन बंद होने से लोगों को इलाज के लिए वाहन भाड़े पर करके ले जाना पड़ रहे हैं। इससे उनकी जेब पर अ‘छा खासा असर पड़ रहा है। ऐसे में लोगों की समस्या को देखते हुए प्रशासन को कोई इंतजाम करने की आवश्यकता है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे संचालक सार्वजनिक यात्री परिवहन बंद होने से बस संचालक सहित बसों के ड्राइवर व कंडक्टर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। वहीं शासन द्वारा 50 प्रतिशत सवारियों की अनुमति देने के बाद संचालकों का कहना है कि इतनी कम सवारियों में तो बस का डीजल सहित अन्य खर्चे भी नहीं निकल पाएंगे। इससे बस संचालक बसे चलाने के लिए तैयार ही नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में बस स्टैंड पर बसों के संचालन पर निर्भर रहने वाले चाय नाश्ते के ठेले, पान मसाला की दुकान वालों के परिवारों के भरण पोषण पर संकट मंडरा रहा है।
-हमारी बेटी की अचानक तबीयत खराब हो गई। इसके चलते ग्वालियर आने-जाने में निजी वाहन से तीन हजार रुपए का खर्चा पड़ गया। इतना खर्चा करना हमारी हैसियत से बाहर है। प्रशासन को कोई इंतजाम करना चाहिए।
चंद्रशेखर विश्वकर्मा, आलमपुर -शासन के आदेश पर 50 प्रतिशत सवारियां ही ले जाने की अनुमति है। इससे खर्च नहीं निकलेगा। हमारी मांग है कि पिछले तीन माह का टैक्स भी माफ किया जाए। हम भी चाहते कि बसें जल्द शुरू हो।-
मुन्नेश सिंह जादौन, उपाध्यक्ष प्राइवेट बस यूनियन ग्वालियर