पुलिस के मुताबिक 23 वर्षीय अकबर पुत्र साबू खां निवासी माधौनगर मालनपुर की छह माह पूर्व ही 22 वर्षीय शाहिदा के साथ शादी हुई थी। दोनों ने सुखमय दांपत्य जीवन के सपने संजोए थे। अकबर खां को शादी के छह माह बाद भी ऐसा रोजगार मुहैया नहीं हो पाया जिससे वह अपने नए गृहस्थ जीवन की गाड़ी को सहज तरीके से चला पाए। स्थानीय लोगों की मानें तो अकबर और उसकी पत्नी शाहिदा दीपावली पर्व को लेकर बेहद उत्सुक थे। मृतकों के परिजनों के अनुसार शाहिदा गर्भवती थी ऐसे में वह दीपोत्सव पर खास खरीदारी करने की अभिलाषा अकबर से कुछ दिन पूर्व से ही व्यक्त कर रही थी।
बड़े भाई और बहन ने भी की थी खुदकुशी बता दें कि साबू खां के दो बेटे और एक बेटी थी, जिनमें से 25 वर्षीय बेटे सद्दाम ने वर्ष 2016 में फांसी लगाकर जान दे दी थी। वहीं बेटी आसमा ने 2018 में फांसी लगाकर खुदकुशी की। तीसरे और सबसे छोटे बेटे अकबर खां ने अपनी पत्नी शाहिदा के साथ 13 एवं 14 नवंबर की रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सद्दाम की दो मासूम बेटी व एक बेटे का भरण पोषण अकबर खान के कंधों पर ही था। बता दें कि शाहिद करीब चार माह की गर्भवती थी। परिजनों के अनुसार अपने आने वाले बच्चे को लेकर दोनों ही बेहद खुश थे। ऐसे में दिवाली पर गरीबी के भंवर ने दोनों को ऐसा घेरा कि शाहिदा और उसके पति अकबर को जीवन से ज्यादा मौत बेहतर नजर आने लगी। दोनों ने अपनी जान के साथ-साथ गर्भ में पल रही जिंदगी को भी खत्म कर दिया।
पिता बोला – बीपीएल कार्ड के लिए चक्कर बुजुर्ग साबू खां ने बताया कि भूमिहीन होने के अलावा खास व्यापार भी नहीं है। लिहाजा बड़े बेटे सद्दाम की मौत के बाद उसके तीन बच्चों के भरण पोषण का जिम्मा उसके छोटे बेटे अकबर पर ही आ गया था। अकबर को स्थाई रोजगार नहीं मिल पाने से वह कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान दिखाई दे रहा था। साबू खां ने बताया कि इस उम्र में अब वह मासूम बच्चों की परवरिश कैसे करेंगे। एक-एक करके उसके बुढ़ापे का सहारे ही छिन गए हैं।
प्रारंभिक पड़ताल में हुई पूछताछ में दोनों की खुदकुशी के पीछे गरीबी ही एक वजह होना प्रतीत हो रहा है। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है। – विनोद सिंह कुशवाह, थाना प्रभारी मालनपुर