डकैतों ने काट दिए थे दोनों हाथ और नाक
भिंड के तकपुरा गांव के रहने वाले लाखन सिंह आज भी उस घटना को याद कर सिरह उठते हैं जो बरसों पहले साल 1979 में उनके साथ घटी थी। लाखन सिंह बताते हैं कि 1979 में चंबल में डकैत छोटे सिंह का आतंक था। वैसे तो डकैत छोटे सिंह से उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी लेकिन उनके बहनोई का डकैतों से कुछ विवाद चल रहा था और इसी विवाद की सजा उन्हें मिली। डकैत छोटे सिंह ने आधा दर्जन साथियों के साथ उनके घर को घेर लिया और फिर उनके दोनों हाथ और नाक काट दी। लाखन सिंह का दर्द यहीं खत्म नहीं होता वो बताते हैं कि उनके दोनों हाथ कटने के बाद सरकार ने उन्हें 500 रुपए महीने की पेंशन देना शुरु की लेकिन बीते आठ साल से उन्हें वो पेंशन भी नहीं मिल रही है। कई दफ्तरों के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
लाखन सिंह और एसपी की मुलाकात के बाद सामने आई कहानी
बता दें कि चंबल में डकैतों के खात्मे और पुलिस की बहादुरी को दर्शाने के लिए भिंड जिले में एक संग्रहालय बनवाया जा रहा है। संग्राहलय के लिए भिंड एसपी डकैतों और उनसे पीड़ित लोगों की कहानियों को भी एकत्रित कर रहे हैं और इसी सिलसिले में एसपी ने लाखन सिंह से मुलाकात की थी। लाखन सिंह ने एसपी को अपनी पूरी कहानी सुनाई और फिर से पेंशन दिलाने की मांग भी की है।
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