भिण्ड से अचानक चुनाव लड़े उदयभान सिंह कुशवाह न केवल चुनाव जीते बल्कि मंत्री भी इस कार्यकाल में बन गए। वहीं अटेर से सत्यदेव कटारे भी कांग्रेस से पहली बार चुनाव जीते। रौन से रमाशंकर सिंह और गोहद से चर्तुभुज भदकारी चुनाव जीते। 34 में से केवल मिलीं थीं दो सीटें जबरदस्त आक्रोश मतदाताओं में वर्ष 19७७ के चुनाव में दिखाई दिया। ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों में से केवल दो कांग्रेस को मिलीं। इनमें दतिया से श्यामसुंदर और राघोगढ़ से दिग्विजय सिंह ही चुनाव जीत सके। बाकी 32 सीटों पर जनता पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीते। उसके बाद किसी एक दल को एकतरफा सीटें नहीं मिलीं।
75 वर्षीय होतम सिंह कहते हैं कि इमरजेंसी के बहाने परिवार नियोजन का जो रवैया अपनाया गया था, उससे लोगों में तीखा आक्रोश उपजा। इस पर विषय पर सरकार जनमानस बनाती तो आक्रोश कम हो सकता था। हमें ध्यान है हम और परिवार के बड़े पुरुष घरों को छोड़कर कई दिनों तक खेतों पर या जंगलों में रहे। वर्ष 19 के चुनाव में इसका आक्रोश दिखा और विकल्प के रूप में उभरी जनता पार्टी को लाभ मिला। 60 वर्षीय करू सिंह कहते हैं कि उस इमरजेंसी के वक्त हमारी उम्र करीब 10 साल रही होगी, हमें ध्यान है कि घर के बड़े लोग रात को घर आते थे और सुबह होते ही खेतों और जंगलों में चले जाते थे। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा था और जब चुनाव हुए तो विकल्प के तौर पर जनता पार्टी सामने आई आक्रोशित लोगों ने उसके पक्ष में जमकर मतदान किया।