भिंड

मिसाल: रोज 24 किमी साइकिल चलाकर स्कूल जाती थी ‘रोशनी’, 10वीं में पाएं 98.5 फीसदी, पढ़ें पूरी स्टोरी

– IAS बनना चाहती हैं रोशनी

भिंडJul 05, 2020 / 01:18 pm

Ashtha Awasthi

भिंड। रुकावटें आती है सफलता की राहों में…ये कौन नहीं जानता….फिर भी वह मंज़िल पा ही लेता है…जो हार नहीं मानता…..ये लाइनें बिल्कुल ठीक बैठती हैं भिंड जिले के अंजूल गांव की रहने वाली रोशनी भदौरिया पर। रोशनी भदौरिया ने दसवीं में 98.75% मार्क्स लाकर मध्यप्रदेश बोर्ड में 8वां स्थान प्राप्त किया है। बेहद छोटे से गांव में रहने वाली रोशनी की कहानी अब मिसाल बन गई है, क्योंकि इस छोटी सी उम्र में रोशनी रोजाना 12 किलोमीटर दूर मेहगांव में बने अपने स्कूल जाती थी और फिर 12 किलोमीटर साइकिल चलाकर वापस अपने गांव आती थी। इसके बावजूद उन्होंने वो कर दिखाया जो हर कोई नहीं कर पाता है।

नहीं मानी हार…

रोशनी भिंड जिले के अजनोल गांव में रहती हैं। उनके गांव से उनका स्कूल 12 किलोमीटर दूर मेहगांव इलाके में है। गांव में बरसाती नाले पर पुल ना होने पर स्थिति ये थी कि बारिश के दिनों में रोशनी वापस अपने घर नहीं आ पाती थी और उसे मेहगांव में अपने रिश्तेदारों के यहां रुकना पड़ता था। कड़ाके की सर्दी का मौसम हो, बारिश हो या तेज धूप रोशनी इन सब को पार करके अपने स्कूल पहुंचती थी।

बनना चाहती है IAS

रोशनी ने बताया कि वो बड़े होकर आईएएस की परीक्षा देकर कलेक्टर बनना चाहती है, इसलिए शुरू से ही उसका ध्यान पढ़ाई पर रहता है। रोशनी के 36 वर्षीय पिता पुरुषोत्तम भदौरिया पेशे से एक किसान हैं। उसकी मां भी 12वीं तक पढ़ी हैं। ऐसे में 2 बेटों के बीच इकलौती बेटी रोशनी को कभी भी किसी ने पढ़ाई के लिए रोका-टोका नहीं। रोशनी के पिता की माने तो वो भी चाहते हैं कि रोशनी अच्छा पढ़-लिखकर गांव और परिवार का नाम रोशन करें।

100 में से 100 अंक हासिल किए

आपको बता दें कि 15 वर्षीय रोशनी ने गणित और विज्ञान विषय में 100 में से 100 अंक हासिल किए हैं। उन्होंने बताया कि वो समाज में बदलाव लाना चाहती हैं, यही वजह है कि वो आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं। भिंड खासकर लड़कियों के लिए बहुत पिछड़ा इलाका है। उनके पिता कहते है कि मेरे सभी बच्चे काफी अच्छे छात्र हैं। उनका पढ़ाई में मन लगता है। लेकिन इस लड़की ने सभी गर्व करने का मौका दिया है। इस इलाके में ऐसा कोई भी नहीं जिसने इतने अंक हासिल किए हों।

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