बता दें कि जिलेभर में 135 प्राइवेट हायर सेकंडरी एवं 112 प्राइवेट हाईस्कूल हैं, वहीं प्राथमिक एवं माध्यमिक प्राइवेट विद्यालयों की संख्या 729 है। करीब 400 विद्यालय संचालक ऐसे हैं, जिनके पास विद्यालय के अलावा आजीविका के अन्य साधन भी हैं, लेकिन 500 से अधिक ऐसे प्राइवेट विद्यालय संचालकों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है, जिनका मुस्तकबिल ही विद्यालय संचालन पर टिका हुआ था। विद्यालय की आय पर निर्भर विद्यालयों के संचालक इन दिनों मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। वजह ये है कि उन्हें आजीविका के लिए दूसरा विकल्प भी नजर नहीं आ रहा है।
ऑनलाइन शिक्षा में छात्रों की दिलचस्पी नहीं बढऩे से बढ़ा संकट
कोरोना संक्रमण में कक्षाएं बंद करा दिए जाने के बाद जिले में महज 20 से 25 फीसद ही बच्चे ऑनलाइन शिक्षा लेने की जद में पहुंचे हैं। शेष 75 से 80 फीसद बच्चों के कुछ अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा में भरोसा नहीं जता रहे हैं तो कुछ मोबाइल जैसे उपकरण उपलब्ध करा पाने में असमर्थ हैं। इसकी सीधी मार प्राइवेट विद्यालय संचालकों पर पड़ रही है।
इन व्यवस्थाओं के तहत शुरू कराई जा सकती हैं विद्यालयों में कक्षाएं
प्राइवेट विद्यालयों संचालकों की आजीविका पटरी पर लौटाने के लिए प्रशासन यदि चाहे तो सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाएं लगवा सकता है। जैसे एक कक्ष में पहले 50 छात्र अध्ययन करते थे अब उस कक्ष में 20 छात्रों को अध्ययन कराए जाने की अनुमति प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग व सेनेटाइजर की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी तय की जा सकती है। कम कक्षों वाले विद्यालयों में दो से तीन शिफ्ट में अध्यापन कराया जा सकता है।
जहां अंकुश की जरूरत वहीं लगाया जाए भीड़ पर प्रतिबंध
बस स्टैण्ड, बाजार तथा राजनीतिक सभाओं की भीड़ पर अंकुश लगाए जाने की जरूरत है, लेकिन उपरोक्त स्थलों पर उमडऩे वाली भीड़ पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यात्री बसों और शादी समारोहों में भीड़ की शक्ल में ही लोग सामूहिक भोज में एकत्र हो रहे हैं, जबकि कोरोना संक्रमण से बचाव के नाम पर शिक्षा की रोशनी फैलाकर अपने घर का चूल्हा जलाने वाले शिक्षकों की आजीविका ठप कर दी गई है।
फैक्ट फाइल
135 प्राइवेट हायर सेकंडरी स्कूल हैं जिले में
112 प्राइवेट हाईस्कूल हैं जिलेभर में
729 प्राइवेट प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल हैं जिले में
500 से ज्यादा विद्यालय संचालकों के सामने उपजा आजीविका का संकट
स्कूल बंद होने से न सिर्फ चार लाख रुपए के कर्ज में हैं, बल्कि परिवार के लालन पालन के लिए भी कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है।
आशुतोष सिंह भदौरिया, संचालक डीएस मेमोरियल स्कूल भिण्ड
लॉकडाउन लगने के बाद से ही स्कूल बंद है। भवन का भाड़ा निरंतर चल रहा है। अभी तक डेढ़ लाख रुपए कर्ज का बोझ हो गया है। समझ नहीं आ रहा क्या करें क्या नहीं।
यूनिस खान, संचालक नेशनल पब्लिक स्कूल भिण्ड