सरसों का समर्थन मूल्य 4200 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मंडियों में सरसों की बंपर फसल आने के बाद भी रा’य सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर खरीद की कोई व्यवस्था न किए जाने से किसान को प्रति क्विंटल 1150 रुपए का घाटा उठाकर अपनी फसल 3150 से 3280 के बीच बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। भिण्ड मंडी में वर्तमान में प्रतिदिन 7500 से 8000 क्विंटल तक सरसों आ रही है। मंडी में बोली व्यापारी 1.30 से 2.00 बजे से पहले शुरू नहीं करते, जबकि 40-45 किमी दूर से अपनी फसल लेकर सुबह 10 बजे ही आ जाते हैं। कई बार असंतुष्ट किसान बोली पर फसल नहीं बेचता तो उसकी फसल शाम तक रखी रहती है। अंत में किसानों को औने पौने भाव में फसल बेचना पड़ती है। फसल लेकर आने वाले 70 फीसदी से अधिक किसानों ने रजिस्टे्रशन भी कराया है, लेकिन 8-10 दिन तक इंतजार करने के बाद भी जब समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई तो उनके सब्र का बांध टूट गया और उन्हें मंडी की ओर रुख करने को बाध्य होना पड़ रहा है।
व्यापारियों ने बनाया ग्रुप, 180 में से आधा दर्जन ही कर रहे हैं खरीद : मजबूरी का फायदा उठाकर व्यापारियों ने ग्रुप बना लिया है। मंड़ी में 180 व्यापारी रजिस्टर्ड हैं, 30-32 ही खरीद कर रहे हंै। इनमें से सरसों की खरीद आधा दर्जन व्यापारी ही कर रहे हैं। एक व्यापारी आज खरीदता है तो दूसरा कल। शेष कारोबारी बाजरा और गेहूं तथा अन्य अनाजों की खरीद कर रहे हैं। बाजरा की डिमांड अधिक होने से व्यापारियों ध्यान बाजरा की खरीद पर है।
40 किमी का भाड़ा ही 2500 रुपए, लौटना नहीं चाहते किसान 40 किमी दूर सरसई से फसल लेकर आए श्रीकृष्ण ने बताया कि गांव से मंडी तक आने का भाड़ा ही ट्रैक्टर-ट्राली वाले 2500 तक लेते हैं। ऐसे में किसान को फसल बेचनी ही होती है यदि ’यादा भाव के चक्कर में लौटे तो नुकसान ही होगा। क्योंकि दूसरे दिन वापस लाने में फिर से उतना ही भाड़ा देना होगा। यहीं कारण है कि एक बार मंडी आने वाला किसान फसल बेचकर ही जाता है।
-बोली आज थोड़ी लेट शुरू हो पाई है। कल से थोड़ा जल्दी कराने का प्रयास करेंगे। खरीद शुरू न होने से ट्रालियों की संख्या मंडी में बढ़ गई है। खुली बोली लगवा रहे हैं रेट को लेकर और हम क्या कर सकतें हंै।
राकेश यादव सचिव कृषि उपज मंडी भिण्ड -40 किमी दूर से सरसों लेकर 11 बजे आए थे। 2 बज चुके हैं अभी तक बोली तक शुरू नहीं हुई है। रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन खरीद नहीं हो रही तो क्या करें। जिस भाव में बिकेगी बेचना मजबूरी है।
श्रीकृष्ण किसान सरसई -रजिस्टे्रशन नहीं करा पाए। खेती में कई लोग साझीदार है। हमारे हिस्से में थोड़ी खेती है। सरसों की बोली 3150 में टूटी है। थोड़ी गीली थी। विजयराम सिंह भदौरिया किसान मंसूरी
-13 मार्च को रजिस्टे्रशन कराने गए थे लेकिन बताया गया कि पोर्टल बंद है। इसके बाद गए तो रजिस्ट्रेशन बंद बता दिए गए। नेतागीरी चाहिए रजिस्टे्रशन कराने से लेकर बेचने तक में। हम है ठेठ किसान, कौन सुनेगा हमारी।
रामसिया किसान मनकाबाद