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भिंड

सत्ता में रहे तो छलनी होने दीं नदियां, विपक्ष में आने पर आई आंदोलन की याद

लहार से सातवीं बार विधायक हैं डॉ. गोविंद सिंह, कांग्रेस सरकार में तीन बार रह चुके हैं मंत्री

भिंडAug 28, 2020 / 11:10 pm

महेंद्र राजोरे

सत्ता में रहे तो छलनी होने दीं नदियां, विपक्ष में आने पर आई आंदोलन की याद

पत्रकारों से चर्चा करते कांग्रेस के प्रदेश महासचिव खिजर मोहम्मद कुरैशी।

भिण्ड. नदियों को बचाने के लिए लहार विधायक डॉ. गोविंद सिंह की अगुवाई में 05 से 11 सितंबर तक सत्याग्रह पदयात्रा आंदोलन होने जा रहा है। इस आंदोलन में न केवल बड़ी राजनीतिक हस्तियां शामिल होंगी, बल्कि सोशल वर्कर भी शरीक होंगे, लेकिन उक्त आंदोलन को लेकर लोगों के जहन में सवाल उमड़ रहे हैं कि आखिर पिछले 30 साल में अवैध खनन के खिलाफ स्वयं डॉ. गोविंद सिंह द्वारा सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि वह तीन दशक में तीन बार कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे।

बताना मुनासिब है कि डॉ. गोविंद सिंह 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। तब से लेकर अभी तक वह लगातार सातवीं बार विधायक हैं। इस बीच वह दिग्विजय सिंह सरकार में वर्ष 1998 में गृहराज्य मंत्री तथा वर्ष 2000 में सहकारिता मंत्री रहे। इस दौरान उनके ही विधानसभा क्षेत्र लहार में सिंध नदी की विभिन्न खदानों से सर्वाधिक रेत खनन होता रहा। तीन बार मंत्री और सात बार विधायक रहते खनन के खिलाफ तभी जुबान खोली जब विपक्ष में आए। वर्ष 2018 में कमलनाथ सरकार में उन्हें पुन: सहकारिता मंत्री बनाया गया। इस दौरान तो उन्होंने अवैध खनन नहीं रोक पाने में अक्षमता जाहिर करते हुए जनता से माफी तक मांग ली थी। डॉ. गोविंद सिंह के सत्ता में रहते आंखों के सामने जिले की नदियां छलनी होती रहीं। अब जब न सिर्फ विपक्ष में हैं, बल्कि विधानसभा उपचुनाव भी सामने हैं तो आंदोलन की याद आई है।

डॉ. गोविंद सिंह से पत्रिका की सीधी बात


पत्रिका : आप नदी बचाओ सत्याग्रह पदयात्रा जैसा बड़ा आंदोलन करने जा रहे हैं, जबकि पिछले 30 साल से न केवल विधायक, बल्कि तीन बार मंत्री भी रहे हैं। इस दौरान आपने एक बार भी अवैध खनन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
डॉ. गोविंद सिंह : मैं हमेशा लड़ा हूं, विधानसभा में ध्यान आकर्षण लगाया, स्थगन कराया। आपको पता होगा हाल ही में हमने पद जाने की परवाह किए बिना सरकार में मंत्री रहते अवैध खनन का मुद्दा उठाया था।
पत्रिका : मंत्री रहते आपने सिर्फ माफी मांगी थी प्रदेश की जनता से
डॉ. गोविंद : उसके बाद मामला सुलझा फिर बंद हो गया टोटली, फिर जैसे ही सरकार गई वैसे ही फिर से व्यापक रूप से चालू हो गया।
पत्रिका : तो नदी बचाओ सत्याग्रह जैसा आंदोलन आप पूर्व में भी तो कर सकते थे।
डॉ. गोविंद सिंह : आपसे पूछ-पूछकर करूंगा मैं, क्या कर सकता था। राकेश चौधरी पर मुकदमा दर्ज हुआ था कलेक्ट्रेट में तोडफ़ोड़ हुई थी भिण्ड में। उठाकर विधानसभा के रिकॉर्ड उठाकर देखो। सबसे ज्यादा स्थगन, सबसे ज्यादा ध्यानाकर्षण व प्रश्न एवं चार हाईकोर्ट रिट लगाई गई हैं मेरे द्वारा।
पत्रिका : पर सड़क पर उतरकर आंदोलन नहीं किए आपने एक बार भी
डॉ. गोविंद सिंह : आपसे पूछ-पूछकर करूंगा आंदोलन, ये कोई तरीका होता है, सड़क पर क्या होता है जब घेराव कर रहे हैं, जुलूस निकाल रहे हैं धरना दे रहे हैं। अभी हमारी पदयात्रा का नाम है पानी बचाओ, पानी बचाना है तो रेत खनन रोकना पड़ेगा।

नदी बचाओ छह दिवसीय सत्याग्रह पदयात्रा में शरीक होंगे राष्ट्रीय सोशल वर्कर और वरिष्ठ कांग्रेसी

जिले की बसाहट नदियों के इर्दगिर्द की गई है। ऐसे में लगातार रेत खनन के चलते साल-दर साल गिर रहे जलस्तर के अलावा पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है। हर मौसम में बहने वाली नदियों की धार सिर्फ बरसात में ही दिखाई देती है। बाकी दिनों में नाले सा स्वरूप हो जाता है। नदियों के खत्म होते अस्तित्व को बचाने के लिए कांग्रेस की ओर 05 से 11 सितंबर तक सत्याग्रह पदयात्रा निकाली जाएगी। यह बात पत्रकारों से चर्चा में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव खिजर मोहम्मद कुरैशी ने कही।
उन्होंने बताया कि लगातार गिरते जा रहे जलस्तर के कारण नदियों के आसपास के खेत जो उपजाऊ थे वह अब बंजर होते जा रहे हैं। जल, जीव, जंगल तथा पक्षियों की जीवनदायिनी नदियों का अस्तित्व बेरोक-टोक हो रहे अवैध खनन के चलते धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है। सत्याग्रह पदयात्रा में मैग्सेसे पुरस्कार से पुरस्कृत जलपुरुष सोशल वर्कर राजेंद्र सिंह के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहन प्रकाश, समाजसेवी वीपी रामगोपाल, राज्यसभा सांसद विवेक तंखा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के अलावा कंप्यूटर बाबा शामिल रहेंगे।
लहार के खेल स्टेडियम ये होगा सत्याग्रह पदयात्रा का आरंभ

सत्याग्रह पदयात्रा की शुरूआत लहार के खेल स्टेडियम से 05 सितंबर को होगी। 05, 06 एवं 07 सितंबर को वाया, पर्रायंच, अड़ोखर एवं भारौली होते हुए पदयात्रा भिण्ड पहुंचेगी। 08 सितंबर को पदयात्रा भिण्ड से शुरू होकर चंबल नदी के तट पर पहुंचेगी। 09 सितंबर को यात्रा खेराघाट से शुरू होकर रौन पहुंचेगी। दूसरे चरण में पदयात्रा 10 व 11 सितंबर को सेंवढ़ा तथा दतिया क्षेत्र में निकलेगी।

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