ग्राम बरथरा में तीन साल पूर्व करीब 1800 की आबादी थी, जहां से लगभग 700 की आबादी दूसरे कस्बे या शहर में जाकर बस गई है। इसी प्रकार 1500 की आबादी वाले खड़ेर में अब बमुकिश्ल 1000 की जनसंख्या रह गई है। शेष परिवार पलायन कर गए हैं। वहीं लगभग 2000 आबादी वाले कठवांहाजी से भी करीब 800 की जनसंख्या गांव छोड़ गई है।
ये आलम है तीनों ही गांव में उपरोक्त तीनों ही गांव में लोगों को साइकिल, बाइक तथा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से प्रति दिन पानी का परिवहन करना पड़ रहा है। जिनके पास ट्रैक्टर-ट्रॉली हैं। उन्हें ज्यादा समस्या नहीं होती लेकिन बाइक व साइकिल तथा सिर पर पानी ढोने वालों का अधिकांश समय पानी भरने में ही गुजर जाता है। ऐसे में वे अन्य काम धंधे नहीं कर पाते हैं। गांव में खारा पानी होने के कारण हार खेतों में लगे ट्यूबवैलों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है।
बेटों के रिश्ते नहीं आने से बन रही पलायन की मजबूरी ग्रामीणजनों की मानें तो पानी की किल्लत के चलते लोग इन गांवों में अपनी बेटियां नहीं ब्याहना चाहते। जो कोई भी रिश्ता लेकर आता है पानी की समस्या देख सगाई करने का इरादा बदल देता है। बरथरा निवासी श्रीकृष्ण शर्मा, कठवांहाजी निवासी कमलकिशोर शर्मा एवं रामकुमार गौड़ निवासी खड़ेर के अनुसार पेयजल समस्या विकराल होने के कारण रिश्तेदार किनारा करने लगे थे। ऐसे में उन्होंने पलायन करना मुनासिब समझा। विदित हो कि यह तीनों ही परिवार दो साल पूर्व गांवों से पलायन कर गए हैं। यह तो महज उदाहरण भर हैं कई परिवार इस तरह से गांव छोड़कर चले गए।
नहीं मिला नल-जल योजना का लाभ शासन द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के माध्यम से गोहद के पेयजल संकटग्रस्त इन गांवों में पांच साल पूर्व नलजल योजना संचालित करने के उद्देश्य से करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। हैरानी की बात ये है कि धनराशि खर्च होने के बाद भी ग्रामीणों को नलजल योजना का लाभ नहीं मिल पाया। स्थिति ये है कि गांवों में खनन होने तथा पाइप लाइन बिछाए जाने के बाद भी पानी सप्लाई नहीं हो पाया।
तैयार की जा रही है योजना गांवों में व्याप्त पेयजल संकट को दूर करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। शीघ्र ही उसे अमलीजामा पहनाए जाने की कार्यवाही की जाएगी। श्याम मोहन श्रीवास्तव, सीईओ जनपद पंचायत गोहद