script‘ मॉडल है ये अस्पताल, दूसरे जिलों को इससे सीख लेनी चाहिए’ | 'This is the hospital model, other districts should learn from this' | Patrika News
भिंड

‘ मॉडल है ये अस्पताल, दूसरे जिलों को इससे सीख लेनी चाहिए’

जिला अस्पताल चौथी बार कायाकल्प के करीब, स्टेट लेविल कमेटी ने किया निरीक्षण

भिंडJan 07, 2019 / 11:34 pm

Rajeev Goswami

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‘ मॉडल है ये अस्पताल, दूसरे जिलों को इससे सीख लेनी चाहिए’

भिण्ड. तीन बार कायाकल्प का पुरस्कार जीत चुका जिला अस्पताल चौथी बार भी जीत के करीब पहुंच गया है। सोमवार को निरीक्षण करने आई स्टेट लेविल टीम के अधिकारी भी व्यवस्थाएं देखकर चकित रह रहे। बोले-यदि मेरे पास १० अंक हो तो मैं इसे ९ से भी ज्यादा दे सकता हूं। ये तो मॉडल के रूप में है। अन्य जिला अस्पतालों को भी इसका अनुशरण करना चाहिए। कायाकल्प अभियान में फिर से नंबर वन पर आने के लिए जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से तैयारी की गई थी। नर्सिग स्टाफ को तीन दिन से कसौटी पर खरा उतरने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
सोमवार दोपहर करीब 11.30 बजे ग्वालियर से आए कायाकल्प के एसेसर डा. प्रशांत नायक जिला अस्पताल पहुंचे। करीब 12 बजे से निरीक्षण शुरू किया गया। ट्रामा सेंटर, ईसीयू, मेडिकल पुरुष, महिला, सर्जिकल वार्ड, चाइल्ड वार्ड, स्पेशल वार्ड, मेटरनिटी वार्ड ब्लड यूनिट, एक्सरे रूम का निरीक्षण किया तथा नर्सिग स्टाफ से मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानक ारी ली। डा. नायक द्वारा पूछे गए प्रश्नो के सटीक उत्तर दिए। उन्होंने विभिन्न वार्डो में भर्ती मरीजों से भी चर्चा की तथा मिल रही सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। डा. नायक बच्चा वार्ड में लगाई गई ओआरएस मशीन को देखकर प्रभावित हुए। फाइनल मूल्यांकन में करीब एक माह का समय लग सकता है। सिविल सर्जन डा. अजीत मिश्रा ने बताया कि संस्था की ओर से पहले खुद का मूल्यांकन करने के बाद रिपोर्ट राज्य को भेजी जाती है। इसके बाद राज्य स्तरीय मूल्यंाकन होता है। तदोपरांत फाइनल मूल्यांकन किया जाता है। कायाकल्प के एसेसर डा. नायक ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि ये जिला अस्पताल बेहतर है लेकिन इसे ओरभी बेहतर करने की आवश्यकता है। इसका कंपटीशन किसी ओर से नहीं बल्कि खुद से ही है। सभी जिला अस्पताल यदि ऐसे ही जाएं तो फिर किसी को प्राइवेट में जाने की आवश्यकता क्यों हो।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग रूम तैयार, डॉक्टरों को नहीं जाना होगा कोर्ट

जिला अस्पताल में वीडियो कान्फ्रेंसिंग रूम भी तैयार किया गया है। अब सिविल सर्जन या सीएमएमओ को बैठकों के लिए भोपाल या ग्वालियर जाने की जरूरत नहीं होगी। इसी प्रकार प्रतिदिन एक दो डाक्टरों को बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है, जिससे अस्पताल में मरीज भटकते रहते हैं। अब कंप्यूटर पर ही एमएलसी आएगी और यहीं से डाक्टर जज के सामने अपने कथन दर्ज करा सकेंगे। सिविल सर्जन डा. मिश्रा ने बताया कि पासवर्ड मिल चुका है, बस कोर्ट से अनुमति की आवश्यकता है।
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