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भिंड

मौजमस्ती और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी किसानों की प्रशिक्षण यात्रा

20 फरवरी को कानपुर में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण के लिए नहीं ले जाए गए किसान।

भिंडFeb 20, 2019 / 10:51 pm

Rajeev Goswami

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मौजमस्ती और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी किसानों की प्रशिक्षण यात्रा

भिण्ड. रा’य सरकार की खेत तीर्थ योजना किसानों को खेती की नई तकनीक सिखाने की जगह कृषि विभाग के कर्मचारियों की मौजमस्ती व भ्रष्टाचार का माध्यम बनती जा रही है। जबकि इस योजना के तहत किसानों को अन्य प्रदेशों में होने वाली उन्नत फसलों की जानकारी लेना है।
17 फरवरी को भिण्ड से अंतररा’यीय भ्रमण पर ले जाए गए किसानों को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 20 फरवरी को कानपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दलहन अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण लेना था, लेकिन किसानों का दल 20 फरवरी को यहां पहुंचा ही नहीं। बताया जाता है कि यात्रा प्रभारी द्वारा झांसी से दल को 19 फरवरी को कानपुर की जगह गलत तरीके से प्रयागराज में कुंभ स्नान के लिए ले जाया गया जिस कारण दल 20 फरवरी को कानपुर नहीं पहुंच पाया। उधर किसान तीर्थ यात्राओं में हो रहे फर्जीवाड़े पर चर्चा व कार्रवाई के लिए जिला पंचायत ने 27 फरवरी को कृषि स्थायी समिति की आवश्यक बैठक बुलाई है।
पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि 11 सदस्यीय किसान दल ने 18 फरवरी को झांसी में राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान केंद्र व भारतीय चारागाह एवं चारागाह अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण किया था जहां से 19 फरवरी को वह वाराणसी चला गया, जबकि उसे कानपुर रवाना होना था तथा अगले दिन 20 फरवरी को वहां भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण लेना था। दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ राजेशकुमार ने बुधवार को फोन पर पत्रिका की पूछताछ में पुष्टि की भिण्ड से आज यहां कोई कृषक दल प्रशिक्षण के लिए नहीं आया है।
यात्रा के बजट को निपटाने में लगे कर्मचारी

यहां बतादें कि 17 फरवरी से 25 फरवरी तक चलने वाले इस 9 दिवसीय कृषक भ्रमण दल में पूरे जिले से 26 किसानों को शामिल होना था, पर केवल दर्जन भर किसान ही शामिल किए गए। निर्धारित कार्यक्रमानुसार 22 फरवरी को किसानों को भारतीय सब्’ाी अनुसंधान संस्थान जखनी शहंशाहपुर वाराणसी में सब्जी उत्पादन व प्रबंधन पर प्रशिक्षण लेना है। 24 फरवरी को लखनऊ में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय फल अनुसंधान संस्थान (आम) में क्रमश: गन्ना उत्पादन-प्रबंधन एवं आम उत्पादन, प्रबंधन पर प्रशिक्षण होंगे। यात्रा के लिए लगभग 1.80 लाख रुपए का बजट शासन ने मुहैया कराया है, जिसे विभागीय कर्मचारी मनमाने तरीके से निपटाने में लगे हैं।
-हो सकता है यात्रा दल अभी यात्रा में हो इसलिए निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 20 फरवरी को दलहन अनुसंधान केन्द्र के भ्रमण के लिए कानपुर न पहुंचा हो। मैं दल प्रभारी से बात करके ही कुछ कह सकूंगा।
एसपी शर्मा, उपसंचालक कृषिविकास एवं किसान कल्याण भिण्ड।

-भिण्ड से लगभग दर्जनभर किसानों की टीम 18 फरवरी को केन्द्र के भ्रमण पर आई थी। यह दल 19 फरवरी को झांसी से वाराणसी के लिए चला गया है।
आरएल तिवारी, प्रिंसीपल साइंटिस्ट, राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केन्द्र झांसी

-बुधवार 20 फरवरी को शाम 4 बजे तक हमारे संस्थान में भिण्ड जिले से किसानों का कोई दल भ्रमण व प्रशिक्षण के लिए नहीं आया है।
डॉ राजेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर

-खेत तीर्थ योजना के तहत रवाना हुए दल में 26 की जगह 11 किसान ही शामिल किए । इसके पहले संपन्न हुई 239 किसानों की यात्रा को खुद उपसंचालक कृषि ने फर्जी मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। किसानों का यह तकनीकी अध्ययन भ्रमण कार्यक्रम तफरीह व भ्रष्टाचार का माध्यम बन गया है।
संजीव बरुआ, अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति भिण्ड।

-मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजनांतर्गत कृषक भ्रमण के कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़े की शिकायतें मिल रही हैं। जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति की 27 फरवरी को आयोजित हो रही बैठक में इस पर कार्रवाई के लिए चर्चा की जाएगी।
इंजीनियर आशीष भदोरिया, अध्यक्ष कृषि स्थायी समिति, सदस्य जिला पंचायत भिण्ड।

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