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भिंड

बसों की छतों पर बैठ कर रहे यात्रा

बस आपरेटरों ने बसों की चेसिसों में किया मनमाना बदलाव, सीटों में किया स्वीकृत क्षमता से ज्यादा इजाफा, आरटीओ व पुलिस की मिलीभगत का खमियाजा भुगत रहे आम लोग

भिंडJan 21, 2019 / 09:43 pm

Rajeev Goswami

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बसों की छतों पर बैठ कर रहे यात्रा

भिण्ड. जिले के विभिन्न मार्गों पर चल रही निजी यात्री बसों में लोगों को सुविधाजनक यात्रा करने में बेहद परेशानी हो रही है। क्योंकि बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाया जा रहा है। हालात यह है कि कई बसों में तो यात्रियों को छत पर बैठकर यात्रा करनी पड़ रही है।
निजी बस आपरेटरों द्वारा अपनी परमिट शुदा व गैर परमिट शुदा बसों में स्वीकृत सीटों को बढ़ाकर डेढ़ गुना ज्यादा कर लिया गया है जिन पर यात्रियों को बहुत मुश्किल के साथ बैठकर यात्रा करनी पड़ रही है। लंबी दूरी की यात्री बसेंा के हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। पूरा किराया देकर भी लोगों को सहूलियत और आरामदायक यात्रा का लाभ नहीं मिल रहा है।
भिण्ड-ग्वालियर रूट पर सबसे ज्यादा ओवरलोड यात्री परिवहन हो रहा है। प्रतिदिन लगभग १५००० से ज्यादा यात्री इस रूट पर सफर करते हैं। परिवहन विभाग ने ७० निजी यात्री बसों को इस मार्ग पर परमिट दिए हैं। प्रत्येक बस दिन में दो वापसी फेरे लगाती है। बसों का प्रचालन सुबह ४.४५ बजे से रात्रि १० बजे तक होता है। यात्रियों को ये बसें हर ५ मिनट के अंतराल पर उपलब्ध रहती हैं। इनमें से तकरीबन ६० प्रतिशत में सीटिंग केपेसिटी मनमाने तरीके से बढ़ाई गई है। आगे पीछे और बाजू की सीटों के बीच में बिल्कुल भी गेप नहीं रखा गया है जिससे यात्री उन पर ठीक से बैठ भी नहीं पाते। कई बसें तो ऐसी हैं जिनके खिडक़ी दरवाजों के कांच तक सलामत नही हैं। फिटनेश अैार बीमा नहीं हैं। यात्रियों को टिकट नहीं दिए जाते। अगर दिए भी जाते हैं तो उन पर बस का नंबर नहीं होता।
यह हालत अकेले भिण्ड ग्वालियर रूट की नहीं है, जिले के अधिकांश रूटों की है। भिण्ड से भिण्ड-दिल्ली ४ बसें, भिण्ड-आगरा, भिण्ड-कानपुर, भिण्ड-लखनऊ, भिण्ड-बरेली, भिण्ड-अयोध्या एक-एक निजी बस चलती है। ये वे बसें हैं जिनके पास इन रूटों के मप्र राज्य परिवहन प्राधिकरण के वैध परमिट हैं। इनके अलावा भिण्ड-अहमदाबाद, भिण्ड-दिल्ली, भिण्ड-उरई, भिण्ड-ग्वालियर, भिण्ड इटावा आदि सहित डेढ़ दर्जन अन्य अन्तर्जिला एवं अंतर्राज्यीय प्रमुख मार्गों पर लगभग १५० से अधिक निजी यात्री वाहन बिना परमिट के ही चल रहे हैं। ये न केवल यात्रियों का नुकसान कर रहे हैं बल्कि शासन को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की चपत लगा रहे हैं।
&चाहे मिनी बस हो या स्टेण्डर्ड सब में सीटें बेहद संकरी हैं और बैठने लायक नहीं हैँ। लंबा सफर नहीं किया जा सकता। बस स्टाफ किराया लेकर भी टिकट नहीं देता। शिकायत करो तो झगड़ा करते हैं।
डॉ बीडी दुबे, रिटायर्ड चिकित्सक समाजसेवी

&सीटों के अनुसार शासन को राजस्व चुकाया जाता है। जहां तक ओवरलोड यात्री परिवहन का सवाल है तो यह पूरे प्रदेश में हो रहा है। परिवहन विभाग को इसे समानरूप से सख्ती से प्रतिबंधित करना चाहिए।
यदुवीरसिंह, कार्यकारी अध्यक्ष प्राइवेट बस आपरेटर यूनियन भिण्ड

&परिवहन नियमों के विपरीत यात्री परिवहन कर रहे वाहनों के खिलाफ धरपकड़ अभियान चलाया जाएगा।

अर्चना परिहार, आरटीओ भिण्ड

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