197 करोड़ रुपए की है पेयजल परियोजना : शहर की बढ़ती आबादी की आगामी 30 साल की पेयजल की जरूरत को पूरा करने के लिए 197.00 करोड़ रुपए लागत से नई जलावर्धन परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। इसे मुंबई की टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कंपनी बना रही है। परियोजना के तहत शहर की 70 साल पूर्व बिछाई गई सारी पुरानी जर्जर व लीकेज पेयजल पाइप लाइनों के स्थान पर 300 किमी लंबी नई पाइप लाइनें बिछाई जाएंगी, जिससे एक बार फिर से सडक़ें खुदेंगी। पिछले एक साल से शहर में सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। सीवर परियोजना के इस पहले फेज की लागत तकरीबन 92.00 करोड़ रुपए है। इस परियोजना को एक ’वाइंट वेंचर की कंपनी बना रही है। विभिन्न वार्डों के गली मोहल्लों एवं शहर की अधिकांश प्रमुख सडक़ों को सीवर के पाइप बिछाने के लिए खोद कर डाल दिया गया है। हालांकि क्षतिग्रस्त की जा रही सडक़ों के तत्काल रेनोवेट (पुनर्निर्माण) के निर्देश हैं, पर फिर भी खोदी गई
कुल सडक़ों के 60 प्रतिशत का रेनोवेशन नहीं हुआ है और वहां लोगों का गड्ढों, कीचड़ व जलभराव के कारण आवागमन मुश्किल हो गया है। लश्कर रोड का निर्माण अधर में निर्माणाधीन सीवर व पेयजल परियोजनाओं के कारण शहर की सबसे ’यादा ट्रेफिक वाली लाइफ लाइन लश्कर रोड, जो सबसे ’यादा खस्ता हाल है, का पुनर्निर्माण अधर में लटक गया है। शासन ने एक साल पूर्व इस सडक़ के इंदिरा गांधी चौराहा से सुभाषचन्द्र बोस तिराहा तक 2 किमी लंबाई में निर्माण के लिए नगर पालिका को 8.00 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की है। इस सडक़ के भूता बाजार से लेकर सुभाष चौराहा तक के हिस्से पर अब तक सीवर लाइन भी नहीं बिछाई गई है। नगर पालिका प्रशासन अपव्यय रोकने के लिए सडक़ों के निर्माण को तब तक टालना चाहता है जब तक दोनों परियोजनाओं के लिए उनकी खुदाई का कार्य पूरी तरह संपन्न नहीं हो जाता। अगर ऐसा हुआ तो बारिश के मौसम में आमजनों को आवागमन के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
&अभी सीवर लाइन का काम ही पूरा नहीं हुआ है। जल्दी ही पेयजल प्रोजेक्ट का कार्य शुरू हो रहा है जिससे सडक़ों की फिर खुदाई होगी। ऐसे में सडक़ों का नवनिर्माण किया जाता है तो शासकीय धन का अपव्यय होगा। खराब सडक़ों से आमजनों को परेशानी है, पर उन्हें कुछ दिन इसमें सहयोग करना होगा।
राजवीरसिंह भदौरिया, सहायक यंत्री नपा परिषद भिण्ड