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भिवाड़ी

27 महीने बाद भी नहीं मिले जलभराव दूर करने के उपाय

फरवरी 2022 बजट में सौ करोड़ बजट आवंटित
अगस्त 2022 में डीपीआर तैयार करने जारी किए कार्यादेश

भिवाड़ीJun 05, 2024 / 06:16 pm

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भिवाड़ी. तेज गर्मी पड़ रही है जल्द ही मानसून दस्तक देगा। भिवाड़ी को जलभराव की समस्या से उभारने के लिए सौ करोड़ रुपए 2022-23 में आवंटित किए गए थे। 16 अगस्त को डीपीआर तैयार करने के लिए टीटीआई कंसल्टिंग को कार्यादेश जारी किए गए। बीडा ने 1.25 करोड़ की ईओआई जारी की। बजट घोषणा के दो साल तीन महीने बाद और कार्यादेश जारी होने के 21 महीने बाद भी डीपीआर को फाइनल नहीं किया जा सका है।

बारिश से जलभराव एवं एसटीपी पानी निस्तारण को लेकर 24 अप्रेल को जयपुर में उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में जलभराव को दूर करने के लिए कुछ बिंदुओं को हरी झंडी मिली जबकि कुछ पर अभी सरकार के स्तर पर नतीजा निकलेगा। जलभराव को लेकर टीटीआई कंसलटेंट ने डीपीआर का प्रजेंटेशन दिया। हरियाणा द्वारा बारिश के पानी का प्राकृतिक बहाव रोकने पर भिवाड़ी में हो रहे जलभराव को रोकने के लिए प्राकृतिक जल का उपयोग करने पर सहमति जताई गई, इसके लिए फिल्टरेशन टैंक, रिचार्ज पिट और बड़ी जगह पर वाटर प्लाजा बनाया जाने को लेकर स्वीकृति दी गई। नाले की चौड़ाई जरूरत अनुसार बढ़ाने को लेकर भी सहमति दी गई। एसटीपी के शोधित पानी को भी दूर ले जाकर अन्य उपयोग में लेने के लिए स्वीकृति दी गई। इस तरह जयपुर में हुई बैठक में डीपीआर को लेकर कुछ बिंदुओं पर सहमति बन सकी, जबकि कुछ पर अभी भी काम होना शेष है। जिन बिंदुओं पर सहमति बनी उन्हें डीपीआर में शामिल कर जल्द ही दोबारा बैठक होगी।

तब इन मुद्दों पर हुई थी चर्चा
डीपीआर को लेकर चार अक्टूबर को जयपुर सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी।

कंसल्टिंग एजेंसी ने जलभराव समस्या का पहला निराकरण साबी नदी में पानी छोडऩा बताया। इसमें दोनों राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होगी। क्योंकि पानी को शोधित कर नाले के जरिए ले जाया जाएगा। हरियाणा क्षेत्र में नाला निर्माण और वहां की सरकार की सहमति आवश्यक होगी। दूसरा प्रस्ताव पानी को अलग-अलग जगह शोधित कर नाले में छोडऩे का दिया। तीसरा सुझाव निंबाहेड़ी में बीडा की 60 हेक्टेयर जमीन और डैम है। यहां लिफ्ट से पानी पहुंचेगा। इस पर लागत अधिक आएगी। इस प्रोजेक्ट पर 10 साल के लिए रखरखाव सहित ढाई सौ करोड़ रुपए की लागत आएगी। दस साल के बाद नियमित खर्चा भी बढ़ जाएगा। इससे भूजल दोहन रुकने के साथ ही सिंचाई में पानी का उपयोग हो सकेगा। चौथा हल सारेखुर्द में भी डैम में पानी डालकर सिंचाई करने का रखा। इसके साथ ही पांचवा प्रस्ताव कहरानी में वन विभाग की 108 हेक्टेयर भूमि में पानी ले जाने का रखा। शुरुआती दो प्रस्ताव में प्राकृतिक बहाव के माध्यम से साबी नदी में पानी जाएगा। उक्त बिंदुओं को लेकर भी सरकार के स्तर पर फैसला होना है।

यहां भी तलाशी पानी छोडऩे की संभावना

नगर परिषद ने एसटीपी से शोधित होकर शुद्ध पानी को चौपानकी ग्वादला, बाजड़ा, बालेसर, मिलकपुर तुर्क स्थित सरकारी भूमि पर ले जाने के लिए जमीन खोजी थी। इन गांव में एक साथ सैकड़ों बीघा सरकारी भूमि है। इस भूमि पर पानी ले जाकर झील बनाकर एकत्रित कर प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के साथ, टूरिज्म एडवेंचर, पौधारोपण, आसपास के गांव में काश्तकारों को सिंचाई के लिए देने की योजना बनाई थी।

डीपीआर को लेकर जल्द ही बैठक होगी। गत बैठक के सुझाव इसमें शामिल होंगे, जल्द ही डीपीआर को फाइनल किया जाएगा। जलभराव दो राज्यों के बीच का मुद्दा है, इसमें सभी प्रकार की अड़चनों को दूर किया जा रहा है।
अशोक मदान, एक्सईएन, बीडा

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