सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी और दुष्यंत के बीच पिछले तीन-चार वर्षों से काफी नजदीकियां बढ़ी हुई हैं। इन दोनों सियासी घरानों को फिर से एक मंच पर लाने का प्रयास भी दोनों की तरफ से ही हुआ है। बेशक, इसकी शुरूआत दुष्यंत कर रहे हैं, लेकिन बहुत संभव है कि हरियाणा में जेजेपी के लिए जयंत चौधरी भी प्रचार करने के लिए पहुंचे। यूपी में रालोद महागठबंधन यानी सपा-बसपा के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ रहा है। तीन दशक पूर्व चौ.चरण सिंह और देवीलाल के बीच काफी गहरे राजनीतिक रिश्ते थे। दोनों एक ही पार्टी में हुआ करते थे, लेकिन बाद में विवाद गहरा गया। यही नहीं, दोनों की पार्टियों ने एक-दूसरे के विरूद्ध चुनाव भी लड़ा। सियासी विवाद इतना गहरा गया कि उत्तरी भारत के इन दोनों किसान नेताओं के बीच संवाद तक बंद हो गया।
चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह और देवीलाल पुत्र ओमप्रकाश चौटाला के बीच भी राजनीतिक बातचीत नहीं हो सकी। अब एक बार फिर चरण सिंह और चौ. देवीलाल परिवार के एक होने की उम्मीद बढ़ गई हैं। चौटाला परिवार और इनेलो में हुए बिखराव के बाद जेजेपी अस्तित्व में आई है। जेजेपी का यह पहला आमचुनाव होगा। इससे पूर्व इसी वर्ष जनवरी में हुए जींद उपचुनाव में जेजेपी ने दिगविजय सिंह चौटाला को चुनाव मैदान में उतारा था। जींद में जेजेपी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन अब लोकसभा चुनावों में पार्टी अपने वजूद की लड़ाई लड़ेगी।