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भोपाल

ट्रेनिंग पर 156 करोड़ खर्च, पुलिस फिर भी फिसड्डी

पुलिस ड्यूटी मीट में रहा खराब प्रदर्शन। न गोल्ड मिला, ना सिल्वर मेडल।

भोपालMar 21, 2018 / 11:35 am

KRISHNAKANT SHUKLA

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भोपाल@ सतेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट…

मध्यप्रदेश पुलिस पर दो साल में विभिन्न तरह की ट्रेनिंग पर १५६ करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद वह पिछले दिनों आयोजित ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट-२०१७ में सिल्वर मेडल तक नहीं ला सकी। मप्र पुलिस छह कैटेगरी में से सिर्फ दो में पुरस्कार हासिल कर सकी। उसमें भी तीसरे स्थान पर रही।

तमिलनाडु में 24 से 28 फरवरी तक हुई मीट में सभी राज्यों की पुलिस और पैरा मिलेट्री फोर्सेस की टीमों ने भाग लिया था। छह कैटेगरी में अलग-अलग प्रतियोगिताएं रखी गई थीं। मप्र पुलिस की टीम का नेतृत्व एडीजी एसएम अफजल और महिला आइपीएस अफसर यांगचेन डोलकर भूटिया ने किया।

इन प्रतियोगिता में मैदानी अमले के अलावा आइजी योगेश चौधरी, एआइजी मनीष कपूरिया, निश्चल झारिया और वरिष्ठ वैज्ञानिक ओपी दीक्षित ने भी भाग लिया। ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार देशभर की पुलिसिंग के मुकाबले मध्यप्रदेश पुलिस सबसे पीछे रही। यह स्थिति तब है, जब एमपी में आइपीएस अफसरों की लंबी फौज काम कर रही है।

 

– फोटोग्राफी और कम्प्यूटर अवेयरनेस में थर्ड
सबसे ज्यादा मेडल तमिलनाडु पुलिस ने जीते। तमिलनाडु पुलिस ने ज्यादातर गोल्ड मेडल अपने नाम किए। साइंटिफिक एड्स टू इंवेस्टिगेशन कैटेगरी में फॉरेंसिंग साइंस, क्राइम इंवेस्टिगेशन, फिंगर प्रिंट और मेडिगो लीगल की प्रतियोगिताएं हुईं।

– वीडियोग्राफी में भी रही फिसड्डी
पुलिस फोटोग्राफी में पहले नंबर पर तमिलनाडु पुलिस आई। दूसरे नंबर पर तेलंगाना और मध्यप्रदेश पुलिस तीसरे नंबर पर रही। कम्प्यूटर अवेयरनेस में भी मध्यप्रदेश पुलिस का तीसरा ही नंबर आया। यहां भी तमिलनाडु पुलिस पहले और दूसरे नंबर पर रही। वीडियोग्राफी के मामले में भी मध्यप्रदेश पुलिस फिसड्डी साबित हुई। इस कैटेगरी में सबसे पहले नंबर पर तमिलनाडु, दूसरे पर तेलंगाना और तीसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश और दिल्ली पुलिस रही।

एंटी सबोटाज चेक कैटेगरी में गोल्ड और सिल्वर मेडल तमिलनाडु पुलिस टीम के नाम रहा। जबकि, कांस्य पदक आइटीबीपी को मिला। डॉग स्क्वाड कैटेगरी में भी एमपी पुलिस को कोई भी पदक नहीं मिला। इस कैटेगरी के ट्रैकर, नारकोटिक्स और एक्सप्लोसिव प्रतियोगिता में पहले और दूसरे नंबर पर तमिलनाडु पुलिस टीम ही रही।


अवेयरनेस और गैजेट्स की खरीदी को लेकर साउथ पुलिस सभी राज्यों से आगे हैं। वहां कमिश्नर प्रणाली सिस्टम असरदार होने के चलते सरकार भी पुलिस के बजट पर ज्यादा गौर करती है।

– एससी त्रिपाठी, पूर्व डीजीपी मप्र

 

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